देश से बाहर के अपराध की सुनवाई नहीं: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली 5 जनवरी: उच्चतम न्यायालय ने कल कहा कि विदेशों में किए गए अपराधों की देश में सुनवाई की कोई व्यवस्था नहीं है.
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के.जी. बालाकृष्णन और न्यायमूर्ति आर.वी. रवीन्द्रन की पीठ ने एक महिला द्वारा दायर एक याचिका खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया.
याचिकाकर्ता साधना चौधरी ने इंग्लैंड में एक आपरेशन के दौरान डाक्टरों की कथित लापरवाही से मारी गयी अपनी पांच महीने की बेटी सुनैना का पोस्टमार्टम कराने की अपील करते हुए न्यायालय में याचिका दायर की थी.
सुश्री चौधरी का आरोप है कि सुनैना सात वर्ष पहले 6 अक्टूबर 2000 को आपरेशन के दौरान डाक्टरों के गलत इलाज के कारण मारी गई. उस समय उसके किसी परिजन को अस्पताल में जाने की अनुमति नहीं दी गयी.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले वर्ष सुश्री चौधरी की याचिका यह कहते हुए ठुकरा दी थी कि भारतीय दंड संहिता में विदेश में किए गए अपराधों से निबटने की कोई व्यवस्था नहीं है.
इंग्लैंड के अधिकारियों द्वारा पिछले वर्ष 28 फरवरी को सुनैना के शव का 28 दिन के अंदर अंतिम संस्कार कर दिए जाने का आदेश जारी करने के बाद याचिकाकर्ता सुश्री चौधरी अपनी बेटी का शव भारत ले आईं.
काफी प्रयास के बाद आखिकार दिल्ली सरकार ने पिछले वर्ष अगस्त में मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज को सुनैना के शव का पोस्टमार्टम कराने का आदेश दिया लेकिन डाक्टरों ने सुनैना के शव को संरक्षित रखने के लिए उसमें मौजूद रसायनों की वजह से पोस्टमार्टम से इंकार कर दिया.