ैअर्थ. सेवा व्यापार दो अंतिम नयी दिल्ली..
पार दो अंतिम नयी दिल्ली.. सेवा व्यापार में व्यक्तिओं के सीमा पार जाने पर पाबंदियों के मुद्दे पर उन्होंने कहा.. आव्रजन पर पश्चिम की पाबंदियों को कुछ बढा चढा कर पेश किया जा रहा है1 उनकी जनसंख्या जैसे जैसे बूढी होगी वैसे वैसे उन्हें अपनी सेवा के लिए विदेशियों के हाथ पैर की जरूरत पडेगी है1 इससे कोई इनकार नहीं कर सकता1 उन्होंने सेवा उद्योग से कहा कि वह सरकार को बाजार मेंसुधार की मध्यकालिक और दीर्घ कालिक रणनीतियां सुाएं ताकि सरकार को डब्ल्यूटीआे वार्ताओं के लेन देन के प्रस्तावों में भविष्य की दृष्टि से ज्यादा लाभ हासिल किया जा सके1 उन्होंने यह भी कहा कि दोहा दौर सेवा व्यापार संबंधी वार्ताओं में भारत का आक्रमक रूख डब्ल्यूटीआे में विकासशील और पिछडे देशों के उन समूहों के रूख से भिन्न है जिनमेंभारत भी शामिल है1 उन्होंने कहा.. भारत ऐसे कुछ गिने चुने विकासशील देशों में जिनका सेवा व्यापार में आक्रामक रूख है1 खुल्लर ने कहा कि यह जरूर है कि भारत का सेवा व्यापार तेजी से बढा है पर तीन हजार अरब डालर के अंतर्राष्ट्रीय सेवा व्यापार में भारत का हिस्सा अभी 80 अरब डालर ही है1 विश्व बैंक के अर्थशास्त्री डा मट्टू ने कहा कि सेवा व्यापार का विकास से बडा संबंध है पर व्यापार वार्ताएं कृष िऔर विनिर्मित वस्तुओं के व्यापार को लेकर चल रहे गतिरोधों में फंस गयी है1 फिक्की के महासचिव डा. अमित मित्रा ने कहा कि अमरीका जैसे देश अपनी जरूरत को देखते हुए कर्मचारियों को वीसा देने का लचीला रूख अपनाने लगे हैं1 इस संबंध में उन्होंने भारतीय नर्सों को मान्यता देने में अमरीका के हाल के लचीले रूख का जिक्र किया1 मनोहर कैलाश जगबीर1734वार्ता