राम सेतु की रक्षा को रैली आयोजित
नई
दिल्ली
31
दिसम्बर:
देश
भर
से
आये
लाखों
रामभक्तों
ने
आज
राजधानी
में
आयोजित
महारैली
में
हिन्दू
धर्माचार्यों
की
मौजूदगी
में
संकल्प
लिया
कि
वे
रामेश्वरम
के
पास
समुद्र
में
स्थित
पौराणिक
महत्व
के
रामसेतु
को
किसी
कीमत
पर
ध्वस्त
नहीं
होने
देंगे
तथा
केन्द्र
सरकार
यदि
ऐसी
कोई
कार्रवाई
करती
है
तो
उसका
जबरदस्त
विरोध
करेंगे.
राजधानी के एक छोर पर स्थित रोहिणी के स्वर्ण जयंती पार्क में आयोजित इस रैली में शीर्ष हिन्दू धर्माचार्यों के अलावा भारतीय जनता पार्टी के पांच मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (राजस्थान), शिवराज सिंह चौहान (मध्यप्रदेश), रमन सिंह (छत्तीसगढ़), भुवन चंद्र खंडूरी (उत्तराखंड) और प्रेमकुमार धूमल (हिमाचल प्रदेश) एवं पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह मौजूद थे.
बद्रीनाथ के शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने इस रैली की अध्यक्षता की जबकि द्वारका के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती, पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद और श्रृंगेरी के शंकराचार्य भारती तीर्थ ने रामसेतु रक्षा आंदोलन के प्रति अपना समर्थन संदेश भेजा.
तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने रामसेतु को भारतीय संस्कृति का प्रतीक बताते हुए उसके संरक्षण के लिए चलाये जा रहे अभियान का समर्थन किया. सुश्री जयललिता का संदेश जनता पार्टी के अध्यक्ष डा0 सुब्रह्मण्यम स्वामी ने पढकर सुनाया. पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने भी रामसेतु रक्षा के लिए संदेश भेजा.
रैली में भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक शिवसेना और अकाली दल के अनेक नेता मौजूद थे. इन नेताओं के लिए अलग से मंच बनाया गया था तथा इनमें से किसी ने भी रैली को संबोधित नहीं किया.
रैली
में
पारित
एक
प्रस्ताव
में
केन्द्र
सरकार
से
आग्रह
किया
गया
कि
वे
उच्चतम
न्यायालय
में
आगामी
जनवरी
महीने
में
अगली
सुनवाई
के
दौरान
अपने
हलफनामे
में
यह
आश्वासन
दे
कि
रामसेतु
को
नष्ट
नहीं
किया
जायेगा
तथा
इसे
राष्ट्रीय
धरोहर
घोषित
किया
जायेगा.
प्रस्ताव
में
यह
मांग
भी
कि
गयी
कि
भगवान
राम
और
भगवान
कृष्ण
की
ऐतिहासिकता
को
सरकार
स्वीकार
करे.
प्रस्ताव
में
चेतावनी
दी
गयी
कि
ऐसा
नहीं
होने
पर
देशव्यापी
आंदोलन
छेडा
जायेगा.