परमाणु करार की भूलभुलैया भारत-अमरीका संबंध

By परमाणु करार, भारत, अमरीका
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manmohan-bushनई दिल्ली, 24 दिसंबरः भारत और अमरीका के द्विपक्षीय संबंधों में वर्ष 2007 में काफी गहमागहमी रही. परमाणु करार पर रस्साकशी पूरे वर्ष दोनों देशों के रिश्तों पर छायी रही, लेकिन इस वर्ष व्यापार के क्षेत्र में दोनों देशों ने नये आयाम हासिल किये.

दोनों देशों का शीर्ष नेतृत्व पिछले दो वर्षों से जिस असैन्य करार को ऐतिहासिक बताते नहीं थक रहा है. उसमें राजनीतिक मजबूरियों के चलते जार्ज डब्ल्यू बुश सरकार ने "हेनरी हाइड एक्ट" का पुछल्ला क्या जोड़ा भारत के राजनीतिक गलियारों में भूचाल ही आ गया. भारत को परमाणु परीक्षण के अधिकार से वंचित करने वाले इस एक्ट पर हायतौबा अगले वर्ष भी जारी रहने की संभावना है.

दरअसल 18 जुलाई 2005 को बुश और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दस्तखतों से हुए इस समझौते को जब 20 जुलाई 2007 को अमली जामा पहनाया गया. तो मुस्कराने के कई कारण थे. इसे दोनों देशों के रिश्तों में अभूतपूर्व मोड़ बताया गया, लेकिन हाइड एक्ट के सामने आते ही तस्वीर बदल गयी. इसके बाद पूरे साल भारत-अमरीका के नाम पर बस समझौते की ही चर्चा चलती रही.

हालांकि भारत को इस बीच तब कूटनीतिक उपलब्धि भी हासिल हुई. जब अमरीका ने उसे और पाकिस्तान को स्पष्ट तौर पर "अलग प्रवृत्ति" के देश करार दिया. संधि में भी कहा गया कि परमाणु मामलों में दोनों देशों के बीच काफी अंतर है.

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