इस्लामी चैनल भी देखना नाजायजः देवबंद
नई
दिल्ली,
20
दिसंबरः
दारुल
उलूम
देवबंद
के
एक
फतवे
में
टीवी
देखने
को
नाजायज
बताया
गया
है,
इसमे
इस्लामी
चैनल
भी
शामल
हैं.
वहीं
दूसरी
ओर,
प्रमुख
इस्लामिक
संगठनों
ने
इस
विचार
से
असहमति
जताई
है.
एक सवाल के जवाब में दारूल इफ्ता के मौलवियों ने टीवी देखने को नाजायज करार दिया. जब यह सवाल किया गया कि क्या इस्लामिक चैनल या इस्लामिक कार्यक्रम देखना सही है तो दारूल ने कहा, कि यह 'सही नहीं' है. टीवी का इस्तेमाल अधिकतर गलत और प्रतिबंधित (इस्लाम में) चीजों के लिए किया जाता है.
जायज चीजों को सही व्यक्तियों से सीखा जा सकता है, तो उन्हें टीवी के जरिए देखना सही नहीं है, क्योंकि इसमें कमोबेश ' हराम' की चीजें दिखाई जाती हैं. टीवी का इस्तेमाल करके व्यक्ति धीरे-धीरे उसके अन्य कार्यक्रमों को भी देखना शुरू कर देगा. यह भी कहा गया कि मोबाइल फोन का टीवी की तरह नाजायज इस्तेमाल करना पाप है.
इसपर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एक सदस्य ने कहा कि मैं इस फतवे से इत्तेफाक नहीं रखता. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि आजकल टीवी पर कुछ ज्यादा ही अश्लीलता परोसी जा रही है. जामिया उलेमा हिंद ने भी फतवे से असहमति जताई है. संस्था के प्रवक्ता अब्दुल हमीद नोमानी ने टीवी पर सही कार्यक्रम देखना जायज बताया है.
अखिल भारतीय शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मिर्जा मुहम्मद अख्तर ने कहा, किसी चीज का इस्तेमाल अच्छे काम के लिए करन सही है. उन्होंने कहा कि टीवी में समाचार, मैच, सामयिक कार्यक्रम और सीरियल तक देखने में कोई बुराई नहीं है, बशर्ते उसमें अश्लीलता न हो.