दक्षेस सांस्कृतिक महोत्सव सरहद पार अवाम को करीब लाने की कवायद
नयी दिल्ली. 09 दिसंबर. वार्ता. दक्षिण एशियाई क्षत्रीय सहयोग संघ .दक्षेस. के सदस्य देशों की जनता को आपस में जोडने के लिये पहली बार आयोजित किया गया ..सांस्कृतिक महोत्सव.. इस तरह के विश्वव्यापी संगठनों को मंत्रालय के गलियारों से निकाल कर अवाम के बीच ले जाने का सार्थक प्रयास है
भारतीय सांस्कृतिक सम्बंध परिषद .आईसीसीआर. क ी आेर से गत तीस नवंबर से नौ दिसंबर तक दक्षेस सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन किया गया जिसके तहत संगठन के सदस्य देशों की जनता को सांस्कृतिक आधार पर एक दूसरे के करीब लाने की सकारात्मक और सार्थक पहल की गयी1 आईसीसीआर के महानिदेशक पवन वर्मा ने यूनीवार्ता से बातचीत में इसकी पुष्टि करते हुये बताया कि यह महोत्सव दक्षेस दशों की संगठन स्तर पर की जाने वाली कू टनीतिक कवायद को विदेश मंत्रालय के गलियारों से निकालकर जनता के सरोकरों से सीधे तौर पर जोडने की कवायद है
दस दिवसीय यह महोत्सव आज संपन्न हो रहा है इस के तहत दक्षेस के सदस्य देशों अफगानिस्तान. नेपाल. भारत. पाकिस्तान. बंगलादेश. श्रीलंका. मालदीव और भूटान की साी सांस्कृतिक विरासत को हथियार बनाकर सरहद की दूरियों को कम करने की कोशिश की गयी है1 इसके तहत संगीत. भोजन. फैशन. लोकनृत्य. लोक संगीत और यहां तक कि लोक कथाओं का भी सहारा लिया गया
श्री वर्मा ने बताया..जिस भूभाग को आज भारतीय उपमहाद्वीप कहा जाता है अगर इसके अतीत के पन्नों को पलटे तो हम पायेंगे कि यह कभी अखण्ड भारत था जो अब अलग अलग देशों में बट गया है1 उन्होंने कहा कि दक्षेस के सभी देशों की सांस्कृतिक विरासत लगभग एक समान है लेकिन समय क ी मार और सरहदों के बनने से लागों के बीच की दूरियां बढी1 उन्होंनें कहा कि अगर इसे दक्षेस के मूल मकसद से जोड कर देखा जाये तो सांस्कृतिक महोत्सव की उपयोगिता स्पष्ट हो जायेगी
निर्मल केसरी सचिन जितेन्द्र लखमी1104जारी वार्ता