लिंग अनुपात में गिरावट पर चिन्ता
नई दिल्ली, 8 दिसम्बरः सरकार ने कहा है कि लिंग अनुपात वर्ष 1991 के 927 से बढ़कर वर्ष 2001 में 933 हो गया है हालांकि इसी अवधि के दौरान बाल लिंग अनुपात 945 से घटकर 927 रह गया.
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. अम्बुमणी रामदास ने आज राज्यसभा में प्रश्नकाल में बताया कि लिंग अनुपात का कारण है समाज में व्याप्त बेटे की अधिक इच्छा और बेटी की उपेक्षा जिसके कारण बालिका शिशु हत्या और बालिका भ्रूण हत्या अधिक होती है.उन्होने कहा कि भारत में लिंग निर्धारण तकनीकों का उपयोग वर्ष 1975 से मुख्य रुप से आनुवंशिकीय असमान्यताओं का पता लगाने के लिये किया जा रहा है लेकिन इन तकनीकों का व्यापक स्तर पर दुरुपयोग भ्रूण का लिंग पता करने और तदुपरांत बालिका भ्रूण बालिका है तो उसका गर्भपात कराने में किया जाता है.
डॉ. रामदास ने कहा कि लिंग अनुपात में गिरवट को रोकने के उद्देश्य से सरकार ने राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय निगरानी समितियां गठित की है और साथ ही विभिन्न प्रचार-प्रसार माध्यमों से जनजागरण कार्यक्रम शुरु किये गये हैं. उन्होंने कहा कि इस जनजागरण कार्यक्रमों में सरकार के अलावा गैर सरकारी संस्था, सामाजिक. धार्मिक क्षेत्र के महत्वपूर्ण लोगों का सहयोग लिया जा रहा है. एक पूरक प्रश्न के उत्तर में स्वास्थ्यमंत्री ने कहा कि अल्ट्रासाऊंड मशीनों से परीक्षण कराने की प्रणाली पर पाबंदी लगाने का सरकार का कोई विचार नहीं है क्योंकि इसका अन्य परीक्षणों के लिये इस्तेमाल किया जाता है जो किसी रोगी की जान भी बचाता है.