बढती सब्सिडी पर चिंता. सरकारी वित् त पर बुरा असर .. समीक्षा
नयी दिल्ली. 07 दिसंबर .वार्ता. संसद में आज पेश छमाही आर्थिक समीक्षा में खाद्यान्नों. उर्वरक और पेट्रोलियम उत्पादों पर बढती सरकारी सहायता पर चिंता व्यक्त करते हुये इसके क्रियान्वयन को प्रभावी बनाने और जरतमंदों को नकदी के प में सीधे सहायता दिये जाने पर जोर दिया गया है
वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इस साल की पहली छमाही .अप्रैल से सितंबर. की मध्यवर्षीय समीक्षा आज संसद के दोनों सदनों में रखी1 इसमें कहा गया है कि बढते सब्सिडी बो से सरकार की वित्तीय स्थिति पर बुरा असर पड रहा है1 सब्सिडी बढते जाने से आर्थिक और सामाजिक सुविधाओं. आय बढाने के साधनों और रोजगार के अवसर सृजित करने की सरकार की क्षमता प्रभावित हो रही है1 सार्वजनिक क्षेत्र की विभिन्न परियोजनाओं में निवेश नहीं बढ पा रहा है
वित्तीय जबावदेही और बजट प्रबंधन कानून के तहत पेश इस समीक्षा के मुताबिक विभिन्न मदों में सरकारी सहायता जो कि वर्ष 2002..03 में 43533 करोड पये पर थी वर्ष 2006..07 में बढकर 53463 करोड पये तक पहुंच गई1 हालांकि सकल घरेलू उत्पाद .जीडीपी. से तुलना करने पर पिछले पांच सालों में इसमें करीब आधा प्रतिशत की गिरावट आई है1 चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के मुकाबले सब्सिडी औसत करीब 12.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है
समीक्षा कहती है कि पिछले चार साल से भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास की तेज रफ्तार बनी हुई है और इस साल की पहली छमाही में भी इसके 9.1 प्रतिशत की वृद्धि से आगे भी यह रफ्तार बने रहने की उम्मीद बंधी है1 लेकिन आगे की चुनौतियों के प्रति सावधान करते हुये कहा गया है कि विकास और मूल्य स्थिरता को बाधा पहुंचाये बिना देश में आने वाली विदेशी मुद्रा के प्रबंधन की अल्पावधि चुनौतियां भी खडी हैं1 आर्थिक विकास का लाभ आम आदमी तक पहुंचाने पर जोर देते हुये कहा गया है कि कृष िक्षेत्र की वृद्धि और श्रम शक्ति को उत्पादक कायोर्ं में लगाना होगा
महाबीर कैलाश वीरेन्द्र171
जारी वार्ता