कंेद्र असम में अनुसूचित जनजाति की मांग पर विकल्प खुला रखा..किंडिया
शिलांग 02 दिसम्बर.वार्ता. केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री पी.आर.किंडिया ने आज कहा कि केंद्र ने असम में और जनजातीय समुदायों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल की मांग के लिए दरवाजे खुले रखे हैं
श्री किंडिया ने यहां यूनीवार्ता से कहा ..जहां तक मेरा मानना है यह अध्याय अभी खत्म नहीं हुआ है लेकिन इन मांगों को पूरा करने के लिए समय सीमा तय नहीं की जा सकती1.. श्री किंडिया का बयान कंेद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल के संसद में दिये गये उस वक्तव्य के मद्देनजर महत्वपूर्ण हो गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत के महापंजीयक असम के चाय बागानों के आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिये जाने के पक्ष में नहीं है
श्री किंडिया ने कहा ..चाय बागानों में काम करने वाले आदिवासी. कोच. राजबोंगशी. ताई अहोम. मोरान. मोटोक और छूतिया जैसी जनजातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के लिए दरवाजे खुले हैं1 केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए इसे विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरना है1 इसके लिए राज्य सरकार. महापंजीयक. राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सिफारिशों की जरूरत होगी
असम के मुख्यमंत्री तरूण गोगोई ने चाय बागानों में काम करने वाले आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने सम्बन्धी राज्य सरकार के प्रस्ताव को भारत के महापंजीयक द्वारा खारिज किए जाने के इस मसले को केंद्र सरकार के समक्ष उठाने का फैसला किया है
इस बीच छह समुदायों ने अनुसूचित जनजाति में शामिल किये जाने की अपनी मांग के लिए दबाव बनाने के वास्ते संयुक्त संघर्ष छेडने के उद्देश्य से एक साा मंच बनाया है1 इन समुदायों की जनसंख्या करीब चालीस लाख है
आल असम स्टूडेंट्स यूनियन. आल असम टी ट्राइब एसोसिएशन और आल आदिवासी स्टूडेंट्स एसोसिएशन आफ असम के नेताओं ने आज यहां संयुक्त प्रेस कांप्रेंस में सभी सम्बन्धित समुदायों से शांति और संयम बनाये रखने की अपील करते हुए किसी भी निजी व्यक्ति या संगठन से इसका राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश करने के प्रति आगाह किया
नीलिमा इंद्र मनोरंजन 1950 वार्ता.