लोकरुचि.गोवर्धन मेला दो महोबा
माना जाता है कि मेला गोवर्धन नाथ की शुरुआत वर्ष 1883 में चरखारी रियासत के तत्कालीन शासक महराज मलखान सिंह जू देव नेकराई थी 1 श्री देव कृष्ण भगवान के अनन्य उपासक थे
अपने शासनकाल में उन्होने चरखारी नगर में आराध्य कृष्ण के एकसौ आठ मंदिरो का निर्माण कराया 1 इसी के चलते चरखारी को ैमिनीवृन्दावन ै भी कहा जाता है
मेले की परम्परा मेंदीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के मौकेपर गोवर्धन पर्वत को उंगली पर उठाए भगवान कृष्ण की मूर्ति को बंगलेमें प्रतिष्ठापित कराया जाता है 1 सप्तमी को देवराज इन्द्र द्वारा उपस्थितहोकर क्षमा मांगने के बाद गोवर्धन पर्वत को उतार दिया जाता है
इसके बाद गोवर्धन नाथ जी का दरबार सजता है 1 नगर के अन्य सभीमंदिरो के देव भी मेला परिसर में अपने नियत स्थानो पर विराजित होते हैं
मेला गोवर्धन नाथ के आयोजक नगर पालिका परिषद के अध्यक्षअरविन्द सिंह चौहान ने बताया कि इस वर्ष 126 वीं वर्षगांठ पर मेले कोभव्यता देने और आकर्षक बनाने के लिये विशेष कार्यक्रम तय किये गये हैं
सं.बिष्ट प्रेम .1430जारी.वार्ता