आजादी से भी पहले शुरू हो गयी थी अलग राज्य आन्दोलन की यात्रा
देहरादून 08 नवंबर.वार्ता. उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने के आन्दोलन की शुरूआत ् देश की आजादी से भी पहले हो गयी थी .परकामयाबी 09 नवंबर 2000 को मिली जब पृथक उत्तराखंड ैउत्तरांचल ै के रूप में अस्तित्व में आया 1 राज्य निर्माण आन्दोलनकारी परिषद एवं सूचना एवं लोक जनसंपर्कविभाग से मिली जानकारी के अनुसार सन् 1938 में 0506 मई को श्रीनगर.गढ़वाल. में कांग्रेस के अधिवेशन में पं. जवाहर लाल नेहरू ने अपने भाषण में कहा कि इस पर्वतीय अंचल को अपनी विशेष परिस्थितियों के अनुरूप स्वयं निर्णय लेने तथा अपनी संस्कृति को समृद्ध करने का अवसर और अधिकार मिलना चाहिये 1 श्री देवसुमन के नेतृत्च में 1938 में दिल्ली में गढ़देश सेवा संघ की स्थापना हुयी 1 पृथक राज्य आन्दोलन को विस्तार देने के लिये बाद में इस संगठन का नाम हिमालय सेवा संघ रखा गया 1 स्वतंत्रता सेनानी बद्रीदत्त पाण्डे ने 1946 में हल्द्वानी में आयोजित सम्मेलन में पर्वतीय क्षेत्र को विशेष दर्जा देने की वकालत की 1 सम्मेलन में अनुसूया प्रसाद बहुगुणा ने कुमायूं गढ़वाल को पृथक इकाई के रूप मे गठिन करने की मांग की
अल्मोड़ा निवासी माक्र्सवादी नेता कामरेड पी.सी. जोशी ने1952 में हिमालय राज्य बनाने की वकालत की 1 पहाड़वासियों द्वाराउठाई जा रही मांग पर विचार करते हुए फजल अली आयोग ने 1954में उत्तर प्रदेश के पर्वतीय जिलों को पृथक राज्य के रूप में गठित करनेकी संस्तुति सरकार को दी 1 सन् 1954 में विधान परिषद सदस्य इन्द्रसिंह नयाल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविन्द बल्लभ पंत से उ.प्र. केपर्वतीय जिलों के लिये पृथक योजना बनाने की मांग की 1 पर्वतीय क्षेत्र की विषम परिस्थितियों को देखते हुए 1957 मेंयोजना आयोग के उपाध्यक्ष टी.टी. कृष्णामचारी ने सरकार को इस क्षेत्रपर विशेष ध्यान देने का सुाव दिया 1 सन् 1970 में तत्कालीनप्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने भी पर्वतीय राज्य की मांग का समर्थनकिया 1 रामगुलाम . पांडेय प्रेम .1854जारी.वार्ता.