लुप्त होती कलाओं का प्रदर्शन करेंगे देश के काने काने से आए बच्चे
नयी दिल्ली 08 नवम्बर .वार्ता. भूमंडलीकरण और बाजारवाद के दौर में देश के कोने..कोने से सैकडो बच्चे लुप्त होती पारम्परिक कलाओं और लोककलाओं का अनूठा प्रदर्शन राजधानी में 14 नवम्बर से शुरु करेंगे
नेशनल स्कूल आफ ड्रामा के थिएटर इन एजुकेशन ..संस्कार रंग टोली.. द्वारा आयोजित .बाल संगम. में कश्मीर से लेकर कर्नाटक और मणिपुर तक के बच्चे नृत्य और ग्रामीण तथा पारम्परिक रंगमंच की पचास से अधिक दुर्लभ शैलियों में अपनी अनोखी कला का प्रदर्शन करेंगे
एन एस डी की निदेशक अनुराधा कपूर. संस्कार रंग टोली के अब्दुल लतीफ खटाना और प्रसिद्ध रंगकर्मी कीर्ति जैन ने आज यहां पत्रकारों को बताया कि पांच दिन तक चलने वाले पांचवे बाल संगम में देश के 8 राज्यों के दो सौ से अधिक लोककलाकार पंडवानी गायन से लेकर छतरी नृत्य. छऊ नृत्य. चंडी युद्ध. थांग..टा. बिहू. माच. घोडासुर. काठी. ठाली. रनपा जैसी अनेक पारम्परिक कलाओं का प्रदर्शन करेंगे जो शहरों और महानगर के जीवन में अनोखा ही नहीं बल्कि दुलर्भ है
इन रंगकर्मियों ने कहा कि छोटे छोटे गांव से आने वाले ये कलाकार न केवल देश की सांस्कृतिक बहुलता को समेटे है बल्कि हमारी विरासत को संजोए है जो बाजारवाद के दौर में धीरे..धीरे लुप्त होती जा रही है
अरविंद अजय रामलाल1722.वार्ता.