डिस्क फालेप्स रोगों में स्पाईनल सर्जरी बेहतर
कोटा,
मेडिकल
कॉलेज
कोटा
के
न्यूरोसर्जरी
विभाग
व
आईएमए
के
संयुक्त
तत्वावधान
में
आयोजित
न्यूरोसर्जरी
सेमिनार
में
विशेषज्ञ
चिकित्सकों
ने
इस
प्रकार
की
पीड़ा
से
छुटकारा
पाने
के
लिए
नई
स्पाईनल
सर्जरी
को
बेहतर
विकल्प
बताया
है.
वर्धमान
महावीर
खुला
विवि
के
पूर्व
कुलपति
प्रो.
जीएसएल
देवड़ा
ने
कहा
कि
कमर,
पीठ,
गर्दन,
कंधे
आदि
के
दर्द
पहले
बुजुर्र्गो
को
हुआ
करते
थे
लेकिन
अब
युवाओं
में
भी
यह
आम
बात
हो
गई
है.
इसका
प्रमुख
कारण
बदलती
जीवन
शैली
है.इस
जीवन
शैली
को
बदला
तो
नहीं
जा
सकता
लेकिन
नई
तकनीक
की
खोज
की
जा
सकती
है
जिससे
इसका
उपचार
आसानी
से
हो
सके.
लोगों
की
अनियमित
दिनचर्या
के
कारण
बढ़
रहे
रीढ़
की
हड्डी,
पीठ
दर्द,
गर्दन
दर्द,
कमर
दर्द
व
डिस्क
फालेप्स
रोगों
से
छुटकारा
पाने
के
बारे
में
विशेषज्ञों
ने
खुलकर
चर्चा
की.
उन्होंने
कहा
कि
यदि
व्यक्ति
अपनी
दिनचर्या
पर
ध्यान
दे
तो
इन
रोगों
से
छुटकारा
पाया
जा
सकता
है.
इनसे
बचाव
के
लिए
आधुनिकतम
तकनीक
के
बारे
में
उन्होंने
जानकारी
दी.
दूरबीन सुविधाः
राजकीय महाराव भीमसिंह चिकित्सालय के न्यूरो सर्जन डॉ. कृष्णहरि शर्मा ने बताया कि कोटा मेडिकल कॉलेज के न्यूरोसर्जरी विभाग में कमर व गर्दन दर्द का अत्याधुनिक दूरबीन पद्दति से उपचार किया जा रहा है. इसका पूरा लाभ हाडोती के मरीजों को मिल रहा है.। दूसरे शहरों में यह इलाज काफी खर्चीला होता था.
दर्द के कारणः
इस प्रकार के दर्द के केई कारण हैं जो इस प्रकार हैं.
*
नियमित
योग
व
कसरत
नहीं
करना.
*
कुर्सी
पर
लंबे
समय
तक
बैठना.
*
क्षमता
से
अधिक
वजन
उठा
लेना.
*
उठने,
बैठने
एवं
सोने
में
लापरवाही
बरतना.
*
बिना
गाइडेंस
के
जिम
में
वेट
लिफ्टिंग
करना.
*
खान
पान
पर
नियंत्रण
न
होना.
रोकथाम
के
तरीकेः
*
नियमित
योगाभ्यास
जरुरी.
*
खान-पान
पर
नियंत्रण
जरुरी.
*
दिनचर्या
सामान्य
रहे.
*
लंबी
बैठक
न
करें.
ओजोन
थेरेपीः
रीढ़
की
हड्डी,
जोड़ों
के
दर्द
व
साइटिका
के
दर्द
में
ओजोन
थेरेपी
कारगर
साबित
हो
रही
है.
इस
पद्धति
में
ओजोन
इंजेक्शन
रीढ़
की
हड्डी
में
इंजेक्ट
किया
जाता
है.
रोगी
को
ओजोन
इंजेक्शन
लगवाने
के
लिए
सप्ताह
में
तीन
से
पांच
बार
अस्पताल
बुलाया
जाता
है.
इसके
बाद
रोगी
को
रीढ़
की
हड्डी
एवं
जोड़ों
के
दर्द
से
पूरी
तरह
छुटकारा
मिल
जाता
है
और
सर्जरी
की
रिस्क
काफी
कम
हो
गई
है.
दूरबीन
थेरेपीः
सर
गंगाराम
हास्पिटल
के
न्यूरोसर्जन
डा.
सतनाम
छाबड़ा
ने
बताया
कि
गर्दन
व
कमर
में
डिस्क
फालेप्स
कॉमन
समस्या
है.
स्लिप
डिस्क
में
लगभग
80
प्रतिशत
लोग
दवाइयों
से
ही
ठीक
हो
जाते
है.
20
प्रतिशत
लोग
दवाइयों
से
ठीक
नहीं
हो
पाते
हैं.
ऐसे
रोगियों
को
चिकित्सक
की
सलाह
लेकर
तुरंत
ऑपरेशन
करा
लेना
चाहिए.
दूरबीन
पद्धति
से
ऑपरेशन
करना
आसान
हो
गया
है.
इस
पद्धति
में
रोगी
को
मात्र
एक-डेढ़
इंच
का
चीरा
लगाकर
ऑपरेशन
कर
दिया
जाता
है
और
24
घंटे
में
रोगी
को
अस्पताल
से
छुट्टी
दे
दी
जाती
है.
कृत्रिम
डिस्क
मेक्स
हॉस्पिटल
दिल्ली
के
डा.
विपिन
वालिया
ने
कहा
कि
रीढ़
की
हड्डी
की
डिस्क
की
बीमारियों
में
स्पाईन
सर्जरी
के
जरिए
पुरानी
डिस्क
की
जगह
कृत्रिम
डिस्क
लगा
दी
जाती
है.
इसका
ऑपरेशन
आसानी
से
हो
जाता
है.
रोगी
को
अस्पताल
में
एक
दिन
ही
रुकना
पड़ता
है.
उन्होंने
बताया
कि
पहले
भी
रीढ़
की
हड्डी
का
दर्द
का
उपचार
किया
जाता
था.
इसमें
डिस्क
को
निकालकर
हड्डियों
को
जोड़ा
जाता
था.
इससे
स्पाईन
की
क्षमता
कम
हो
जाती
थी
और
साथ
वाली
डिस्क
भी
खराब
होने
लगती
थी,
लेकिन,
'की
हॉल"
पद्धति
से
कृत्रिम
डिस्क
आसानी
से
लगा
दी
जाती
है.95
प्रतिशत
लोगों
को
रीढ़
की
हड्डी
का
दर्द
कभी
ना
कभी
होता
ही
है.
इनमें
से
ऑपरेशन
की
जरूरत
एक
से
2
प्रतिशत
लोगों
को
ही
पड़ती
है.