भारत-रूस दोस्तीः चलो बस हो गया मिलना, न तुम ख़ाली न हम ख़ाली

By Staff
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मास्को, 20 अक्टूबरः रूसी नेतृत्व और जनमत के तौर पर उसका मीडिया इस बात की कतई परवाह नहीं कर रहा है कि विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी की मास्को एयरपोर्ट पर तलाशी हुई थी या नहीं जबकि यह कथित घटना छपने से भारत में राजनीतिक बवाल मचा. रूस का मीडिया इस बात से भी प्रभावित नहीं हुआ कि उनका देश भारत के साथ पांचवी पीढ़ी के लडाकू विमानों के संयुक्त विकास और उत्पादन के समझौते पर हस्ताक्षर कर रहा है. रक्षा मंत्री ए के एंटनी यहां चार दिन की यात्रा पर आए और चले गए लेकिन रूसी मीडिया ने इसका लगभग संज्ञान नहीं लिया. भारत के साथ संबंधों को लेकर रूस के नेतृत्व और जनमत की बेरूखी पर भारतीय विश्लेषकों के माथे पर बल है और वे इसका कारण तलाशने में जुटे हैं. दूसरी ओर भारतीय दूतावास की चिंता प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की 11 और 12 नवम्बर को प्रस्तावित मास्को यात्रा को लेकर है और विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी एवं रक्षा मंत्री की यात्रा से सबक लेकर अधिकारियों ने इसे एक बड़े आयोजन के रूप में पेश करने के लिए कमर कस ली है. भारत-रूस संबंधों में जमी इस बर्फ के बारे में मास्को में भारत के एक पुराने संवाददाता ने शायराना अंदाज में टिप्पणी की. उनका कहना था कि भारत और रूस की दोस्ती अब इस शेर की तरह हो गयी है कि " तुम्हें गैरों से कब फुर्सत और हम गम से हैं कब खाली चलो बस हो गया मिलना, न तुम खाली न हम खाली" उन्होंने श्री मुखर्जी की यात्रा के समय रूसी विदेश मंत्री सेगेई लावरोव से उनकी मुलाकात नहीं हो पाने के बारे में यह बात कही. उनका कहना था कि जिस समय मुखर्जी रूस आए उस समय अमरीकी विदेश मंत्री कोंडालिजा राइस और रक्षा मंत्री रॉबट्र्स गेट्स की मास्को यात्रा हो रही थी और रूसी नेतृत्व मिसाइल कवच को लेकर उनसे जूझ रहा था. एंटनी की यात्रा के समय रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ऐतिहासिक ईरान यात्रा हो रही थी और रूस समेत पूरे अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने मास्को से निगाहें हटाकर तेहरान पर अपनी निगाहें टिका लीं थीं. रही सही कसर उस फुटबाल मैच ने पूरी कर दी जिसे लेकर मास्को में ब्रिटिश और रूसी खेल प्रेमी ऐसे ही दीवाने थे जैसे भारत और पाकिस्तान के युवा क्रिकेट के फाइनल को देखने के लिए होते हैं. जिस दिन एंटनी ने रूस के साथ पांचवी पीढ़ी के लडाकू विमान के संयुक्त विकास और उत्पादन के ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए उसी दिन रूसी फुटबाल टीम ने अप्रत्याशित रूप से इंगलैंड की टीम को परास्त कर दिया और पूरा मास्को इस जश्न की आतिशबाजी में डूब गया. मैच के बाद कई जगह हुडदंग भी हुआ और मैच में अपनी टीम का हौसला बढाने आए अंग्रेजी फुटबाल प्रेमियों की जमकर पिटाई भी कर दी गई. रूसियों की भारत के प्रति बेरूखी का कारण अमरीका के साथ हुए परमाणु समझौते को भी बताया जा रहा है लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि दोनों देशों के सरोकार इतने बदल चुके हैं कि अब पुरानी दोस्ती का हवाला घिसा-पिटा मुहावरा सा लगने लगा है. रूस, भारत के बजाए ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर ज्यादा सरोकार रखता है और उसकी चिंता पॉलैंड एवं चेक गणराज्य में लगाई जाने वाली अमरीकी मिसाइलों को लेकर है.

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