परमाणु समझौते पर अब भी उम्मीद बाकीः मनमोहन
प्रधानमंत्री के विशेष विमान से, 18 अक्तूबरः प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि उन्होंने भारत-अमरीका परमाणु समझौते को लेकर उम्मीद छोड़ी नहीं है. इसके साथ ही उनका कहना था कि वह अंतिम नतीजे के बारे में कुछ नहीं कह सकते.
डॉ. सिंह ने नाइजीरिया और दक्षिण अफ्रीका की अपनी पांच दिवसीय यात्रा से स्वदेश लौटते समय विशेष विमान में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि स्वदेश में इस समस्या को सुलझाने के लिए प्रयास जारी हैं. वाम दलों से बातचीत हो रही है लेकिन मैं अंतिम नतीजे के बारे में अभी कुछ नहीं कहना चाहता. यह पूछने पर कि क्या उन्हें लगता है कि समझौता हो पाएगा, प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रक्रिया अभी भी जारी है.
यह पूछने पर कि उनकी गठबंधन सरकार के द्रविड मुन्नेत्र कषगम डी एम के) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी राकांपा) जैसे घटक दलों ने परमाणु समझौते का विरोध करना क्यों शुरू कर दिया है,डॉ. सिंह ने कहा कि व्यक्ति को अनिश्चित्तओं के साथ जीना पड़ता है.जहां तक केन्द्रीय मंत्रिमंडल का सवाल है मैं आपको याद दिला दूं कि मंत्रिमंडल की संसदीय मामलों की समिति ने 123 समझौते को सहमति दी थी. एक संवाददाता ने डॉ. सिंह से पूछा कि क्या उन्होंने इब्सा सम्मेलन के दौरान ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका से परमाणु समझौते को समर्थन देने के बारे में बातचीत की है तो प्रधानमंत्री ने कहा कि हमे अपनी समस्याएं घर में ही सुलझानी होंगी और यह प्रक्रिया जारी है.
परमाणु
समझौते
को
लेकर
वाम
दलों
की
नाराजगी
के
बारे
में
डॉ.
सिह
ने
कहा
कि
हम
गठबंधन
सरकार
चला
रहे
हैं,
हमे
इसका
रास्ता
खोजना
होगा.
यह
पूछने
पर
कि
परमाणु
समझौते
के
मुद्दे
पर
सरकार
द्वारा
पीछे
हटने
से
क्या
उनकी
छवि
कमजोर
हुई
है
तो
प्रधानमंत्री
ने
माना
कि
इस
मुद्दे
पर
उन्हें
कुछ
धक्का
लगा
है
लेकिन
साथ
ही
उनका
यह
भी
कहना
था.
मैं
यह
नहीं
कहूंगा
कि
यह
जीवन
का
अंत
है.
इब्सा
के
दो
दिन
के
शिखर
सम्मेलन
में
एशिया,
लातिन
अमरीका
और
अफ्रीका
की
मुख्य
अर्थव्यवस्थाएं
शामिल
रहीं.
इसमें
विभिन्न
क्षेत्रों
में
आपसी
सहयोग
पर
विचार
विमर्श
कर
एक
संयुक्त
घोषणापत्र
जारी
किया
गया.
शिखर सम्मेलन से पहले जोहान्सबर्ग में विभिन आर्थिक और व्यापारिक सम्मेलन हुए, इनमें संसदीय मंच में भारत की ओर से सांसद संदीप दीक्षित, जितेन प्रसाद, हरिन पाठक और आलोक कुमार मेहता शामिल हुए.