निजी क्षेत्र को सफाई व्यवस्था सौंपने से रेलवे में पनपा काक्रोच घोटाला
भोपाल,18 अक्टूबरः भारतीय रेल को सफलता की पटरियों पर सरपट दौड़ाने वाले रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के लिए भी शायद यह चौंकाने वाली खबर हो कि उनके महकमे में एक ऐसा कॉक्रोच घोटाला पैर पसार चुका है जिसके आगे खुद रेलवे के मुलाजिम घुटने टेक चुके हैं.
यात्रियो,रेल विभाग के अधिकारियों और रेलवे कर्मचारियों के लिए परेशानी और बेबसी का सबब बना यह अनूठा घोटाला इस धरती के सबसे पुराने जीवों में शामिल कॉक्रोच से जुड़ा है जो अनुकूल परिस्थितियां पाकर इन दिनों रेल के डिब्बों में अपनी अच्छी खासी आबादी के साथ मौजूद हैं.
इंदौर से जम्मू तवी के बीच चलने वाली मालवा एक्सप्रेस में न सिर्फ सामान्य और स्लीपर श्रेणी में बल्कि वातानुकूलित शयनयान में भी कॉक्रोचों का आंतक हैं. यात्री कितने परेशान है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सेकंड एसी के कोच में किसी पीड़त यात्री ने दीवार पर पेन से लिखा है कि इस बोगी को कॉक्रोचों से मुक्त करिए या फिर इसे जला दीजिए. इतना ही नहीं आगे किसी ने यह भी लिखा है कि कृपया कैसे भी हो कॉक्रोचों को समाप्त करें. मध्यप्रदेश के मालवा अंचल के प्रमुख शहर इंदौर से जम्मू तवी के बीच अप- डाउन चलने वाली मालवा एक्सप्रेस में यात्रा करने वाले यात्रियों को अब तो ढ़के छिपे शब्दों में खुद रेलवे के अधिकारी और कर्मचारी यह सलाह देते हैं कि आप इसकी आदत डाल लीजिए. इसी ट्रेन (जम्मू तवी जाने वाली)में सफर करने वाले यूनीवार्ता संवाददाता ने जब इस बारे में कोच कंडक्टर से पूछा तो उन्होंने अपनी बेबसी का इजहार करते हुए कहा कि पहले भी बहुत शिकायतें हो चुकी हैं लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती. कारण पूछने पर बताया जाता है कि ट्रेन की सफाई व्यवस्था निजी क्षेत्र को सौंपी गई जो सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करते हैं. इस सवाल पर कि उनका ठेका क्यों निरस्त नहीं होता है, कंडक्टर कंधे उचकाकर फिर अपनी असहायता का प्रदर्शन करता है.