सभ्य समाज का हिस्सा बनेंगे शिकारियों के बच्चे
पन्ना, 14 अक्टूबरः वन्य प्राणियों का शिकार कर जीवनयापन करने वाले घुमक्कड़ पारदी और बहेलिया जाति के बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जोडने के लिए एक अभिनव पहल करते हुए मध्य प्रदेश के पन्ना एवं अजयगढ में खास आवासीय ब्रिज स्कूल खोले जा रहे हैं, जिस समाज के लोगों ने कभी स्कूल का मुंह नहीं देखा, शिकार करना ही उनकी दिनचर्या रही है, उन्होंने अपने बच्चों को पढाने के लिए पन्ना नेशनल पार्क के अधिकारियों के सामने लिखित सहमति दे दी है. पार्क प्रबंधन द्वारा इन जातियों के बच्चों के लिए स्कूल खोले जा रहे हैं.
वन्य प्राणियों के लिए खतरा बने पारदी एवं बहेलिया जाति के लोगों की पन्ना जिले में खासी तादाद है. ये वन क्षेत्रों के निकट डेरा डालकर शिकार करते हैं. पुश्तैनी शिकारी होने के कारण ये लोग कोई दूसरा काम-धंधा करना पसंद नहीं करते. ये घुम्मकड जंगली सुअर से लेकर शेर तक का शिकार बडी आसानी से कर लेते हैं.
शिकार करने में इन जातियों की महिलायें भी बड़ी निपुण और दक्ष होती हैं, जिन क्षेत्रों में बहेलियों का डेरा पड जाता है, वहां ये वन्य प्राणियों का सफाया कर देते हैं. कहा तो यहां तक जाता है कि सरिस्का में शेरों का सफाया पारदी जाति के शिकारियों ने ही किया है. इनकी नजर पन्ना नेशनल पार्क के जंगल में विचरण करने वाले शेरों पर भी रहती है. इन शातिर शिकारियों द्वारा किए गए शेरों को शिकार की किसी को भनक तक नहीं लग पाती.