ग्रामीण सहकारी रिण संस्थानों का पुरुत्थान साा जिम्मेदारी
नयी दिल्ली .10 अक्टूबर. वार्ता. पश्चिम बंगाल ने ग्रामीण सहकारी रिण संस्थानों के पुनरुत्थान को केन्द्र एवं राज्य सरकारों की साा जिम्मेदारी बताया है . लेकिन कहा है कि अधिकाधिक संस्थानों को पुनरुत्थान कार्यक्रम एवं वित्तीय सहायता के दायरे में लाने के लिये निर्धारित शतो में सुधार जरुरी है1 लम्बी अवधि के सहकारी रिण ढांचे को पुनर्जीवित करने तथा अन्यसंबद्ध मसलों पर आज यहां राज्यों के वित्तमंति्रयों तथा कृष िएवं सहकारिता मंति्रयों के सम्मेलन को संबोधित करते हुये पश्चिम बंगाल के प्रतिनिधि ने कहा कि प्रो. ए. वैद्यनाथन की अगुवाई वाले कार्यदल ने वित्तीय सहायता पाने वाले संस्थान की जो पात्रताएं तय की हैं. उससे तो अधिकतर संस्थान पुनर्जीवन के इस पूरे प्रयास के दायरे से बाहर हो जायेंगे लिहाजा पात्रता शतो मेंबदलाव जरुरी हैं1 उन्होंने कहा कि गैर अर्थक्षम संस्थानों के परिसमापन और इनके अर्थक्षम संस्थानों में विलय की तय वैधानिक प्रक्रियाएं भी निर्धारित लक्ष्य के अनुकूल नहीं हैं और इसमें संशोधन अपेक्षित हैं
राज्य ने प्राथमिक कृष िरिण सोसाइटियों के बोर्ड मेंएक सदस्य नामजद करने का राज्य का अधिकार और सहकारी रिण ढांचे के विभिन्नस्तरों को अन्य वित्तीय संस्थानों से कर्ज लेने की छूट वापस लिये जानेपर भी कडी आपत्ति जतायी और याद दिलाया कि कार्यदल की इससंबंधित सिफारिश का सभी राज्यों ने एकमत से विरोध किया था1 पश्चिम बंगाल के प्रतिनिधि ने आशा जतायी कि पुनरुत्थान योजना के अंतिम क्रियान्वयन के क्रम में राज्यों के संबद्ध सरोकारों का ध्यान रखा जायेगा
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राजेश.सत्या.अजय.राणा 1923वार्ता