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कभी किसी को मुकम्मल जहां नही मिलता ..

By Staff
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..जन्मदिवस 12 अक्टूबर के अवसर पर...मुंबई 11 अक्तूबर .वार्ता . ..कभी किसी को मुकम्मल जहां नही मिलता ... कहीं ज़मीं तो कहीं आसमां नही मिलता .. निदा फाजली की गजलों में जिंदगी की कशमकश को काफीशिद्दत से महसूस किया जा सकता है 1 फाजली साहब ने जिंदगी केउतार चढ़ाव तथा जीवन के सभी पहलुओं को शायद बहुत ही करीब से जिया है1 यही वजह है कि उनकी शायरी में जिंदगी की कशिश लकती है

12 अक्तूबर 1938 को दिल्ली में जन्मे उर्दू साहित्य जगत केअज़ीम शायर और गीतकार निदा फाजली को शायरी विरासत में मिली1उनके घर में उर्दू और फारसी के दीवान ..संग्रह..भरे पड़े थे1 निदाफाजली के वालिद भी शेरो..शायरी में दिलचस्पी लिया करते थे और उनका अपना काव्य संग्रह भी था1 निदा फाजली अक्सर उनके काव्य संग्रह को पढा करते थे1 निदा फाजली ने वर्ष 1954 में स्नातकोत्तर की शिक्षा ग्वालियर कालेज से पूरी की1 आजादी के बाद उनका पूरा परिवार पाकिस्तान चला गया लेकिन निदा फाजली ने हिंदुस्तान मे ही रहने का निर्णय लिया1 निदा फाजली एक दिन एक मंदिर से गुजर रहे थे तभी उन्हें सूरदास की एक कविता सुनाई पडी1 इस कविता के माध्यम से राधा और कृष्ण की जुदाई के प्रसंग को दर्शाया गया था1 निदा फाजली इस कविता को सुनकर काफी भावुक हो गये और उन्होंने निर्णय लिया कि वह भी एक कवि के रूप में अपनी पहचान बनायेगें

प्रेम नरेश शिव मनोरंजन 1118 जारी.वार्ता.

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