उच्चतम न्यायालय ने उम्र कैद की सजा बरकरार रखी
नयी दिल्ली. 09 अक्टूबर. वार्ता. उच्चतम न्यायालय ने परिवार के सम्मान के नाम पर की जा रही हत्याओं के मद्देनजर इस तरह के एक मामले में आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाने के उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा है
न्यायमूर्ति एस. बी.सिन्हा और न्यायमूर्ति हरजीत सिंह बेदी की पीठ ने चार लोगों की निर्मम हत्या को जघन्यतम अपराध करार देते हुए कहा कि विशेष परिस्थितियों के मद्देनजर न्यायालय आरोपियों को फांसी की सजा नहीं सुना रहा है
महाराष्ट्र की एक निचली अदालत ने इन आरोपियों को मौत की सजा सुनाई थी लेकिन 2003 में बंबई उच्च न्यायालय ने इसे आजीवन कारावास में बदल दिया
मामले के अनुसार स्कूली छात्रा राजविंदर कौर अपने से निम्न जाति के और आर्थिक रुप से कमजोर रविंदर सिंह से प्रेम करने लगी
दोनों ने राजविंदर के परिजनों के विरोध के बावजूद शादी कर ली
सत्या. संजीव. अजय नंद1903 जारी.वार्ता