नयी रक्षा खरीद नीति में सौदे होंगे फास्ट ट्रैक पर
नयी दिल्ली 09 अक्टूबर .वार्ता. आने वाले समय में पचास हजार करोड पये के सौदों से मिलने वाले निवेश का पूरा फायदा उठाने के लिए रक्षा खरीद नीति में व्यापक फेरबदल कर 2008 की नीति का दस्तावेज तैयार किया जा रहा है1 उच्च पदस्थ रक्षा सूत्रों ने कहा कि नयी नीति में पारदशिता को केंद्र में रखते हुए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि रक्षा सौदों को पूरी तरह समयबद्ध बनाया जाए ताकि किसी प्रकार की देरी की कोई गुंजाइश बाकी नहीं रहे1 सूत्रों ने कहा कि 2006 की रक्षा खरीद नीति में यह प्रावधान है कि 300 करोड रूपये से अधिक किसी भी रक्षा सौदे में विदेशी कम्पनी को कुल सौदे का कम से कम 30 प्रतिशत भारत में ही निवेश करना होगा1 इसे आफसैट की व्यवस्था नाम दिया गया है1 इस व्यवस्था का लाभ घरेलू उद्योगों को देने के लिए रक्षा खरीद नीति 2008 में कुछ लचीलापन अपनाए जाने की सम्भावना है ताकि विदेश निवेश रक्षा उपक्रमों के अलावा निजी क्षेत्र के रक्षा उद्योगों के माध्यम से भी आ सके1 रक्षा सूत्रों ने बताया कि इस नीति में निजी क्षेत्र के रक्षा उद्योग रत्नों को भी आफसैट का फायदा उठाने में शामिल किये जाने की सम्भावना है1 रक्षा मंत्रालय निजी क्षेत्र की 13 बडी कम्पनियों को रक्षा उद्योग रत्न का दर्जा देने की तैयारी कर रहा है ताकि वे आने वाले वषो में होने वाले बडे रक्षा सौदों से मिलने वाले विदेशी निवेश का लाभ उठा सकें1 कौशिक संजीव अजय जगबीर1438जारी वार्ता