लोकरूचि. हर की दून दो देहरादून
पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्रतल से करीब 06 हजार 96 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद पांचो स्वर्गा रोहिणी चोटी जो इस घाटी में अपना प्रभुत्व जमाये हुए है1 कहा जाता है कि पाण्डवों ने इसी चोटी से स्वर्ग के लिये यात्रा शुरू की थी और स्वर्ग गमन से पहले पाण्डवों तथा द्रोपदी ने कुछ समय इस मनमोहक घाटी की हसीन वादियों में बिताये थे1 इस घाटी से कई सालों तक लोग दूर रहे क्योंकि उनका मानना था कि यह प्राचीन समय में शापित थी1 पौराणिक कथाओं में उल्लेख है कि महाभारत काल की एक घटना इस शाप के लिये जिम्मेदार है1 महाकाव्य के अनुसार दुर्योधन कौरव कुमार ने एक बार पाण्डवों को लाक्षागृह में जिंदा जलाने का षडयंत्र रचा था1 इस षडयंत्र की हवा भगवान कृष्ण को लग गयी1 उन्होंने सुाव दिया कि वे महल के नीचे सुरंग खोदकर अपना बचाव कर सकते हैं1 पाण्डवों ने इसके बाद इस स्थान को छोड दिया वे यमुना नदी के किनारे पहुंचे गये 1आज भी लाखामंडल के नाम से जाना जाने वाला यह स्थान उत्तराखंड के देहरादून जिले में पडता है जो एक प्रसिद्ध स्थल है 1 लाखामंडल ..हर की दून.. घाटी के रास्ते में स्थित है 1 यह गांव पाण्डव मंदिर से घिरा है जिसमें पांच में से दो पाण्डव भाइयों की पूरे आदमकद पत्थर की प्रतिमायें तथा एक काले पत्थर पर भव्य शिवलिंग हैं1 यह मंदिर तथा इसकी चार दीवारी को भारतीय पुरातत्व विभाग ने संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया गया है1 यह कहा जाता है कि कुछ समय तक पाण्डव यमुना घाटी के चारों तरफ घूमें और उसके बाद टोन्स घाटी की तरफ चल दिये जो कि हर की दून का प्रवेश स्थल है1 हर की दून घाटी के सभी मंदिर जिनमें से एक सबसे महत्वपूर्ण जखोल गांव में है कुछ हद तक दुयोधन को समर्पित कहे जाते हैं1 प्रत्येक मंदिर के दरवाजे के ऊपर. लकडी के ऊपर प्राचीन शिलालेख हैं जो दुयोधन को मंदिर निर्माता के रूप में स्पष्ट करते हैं जबकि क्षेत्र के लोग इस सिद्धान्त को अस्वीकार करते हैं और अपने आप को सोमेश्वर .शिव. के पुजारी बताते हैं1 शिलालेखों के बारे में पूछने पर ये लोग उन्हें किसी पागल दिमाग का कार्य बताते हैं1 किसी दुष्ट चरित्र को पूजने के पीछे इस क्षेत्र में संभवत दुयोधन और उसकी सेना की उपस्थिति का तथ्य दिखता है1 उन्हें इस क्षेत्र से पाण्डवों का शिकार करके खत्म करने की आज्ञा मिली होगी विशेषत: जब लाक्षागृह षडयंत्र असफल हो चुका था1 यह संभव है कि इस घाटी में अपने प्रवास के दौरान दुयोधन ने मंदिरों का निर्माण कराया हो जबकि वह खुद शिवजी का भक्त था1 अंतत ये मंदिर दुयोधन के मंदिर जाने. जाने लगे
रामगुलाम शिव मनोरंजन 1144 जारी.वार्ता.