लोकरूचि. हर की दून चार अंतिम देहरादून
सांकरी गांव सभी यात्राओं के लिये प्रवेश बिंदु है1 यहां के लिये मसूरी से पूरे दिन का सफर है 1 सांकरी से हर की दून जाने के लिये पैदल तीन दिन लगते हैं जिसमें प्रत्येक दिन औसतन् 11 किलोमीटर की यात्रा करनी होती है1 हर की दून के रास्ते में कुछ किरानें की दुकानें. ढावे तथा गढवाल मंडल विकास निगम के अतिथिगृह हैं1 .हर की दून. की वादियां आबादी से दूर एकांत में हैं जहां सिर्फ दो अतिथिगृह हैं1 अप्रैल से जून तक तथा सितंबर से नवंबर तक अतिथिगृह अधिकांशत भरे रहते हैं1 जनवरी और फरवरी हर की दून घाटी आने का बेहतर समय है क्योंकि यह साल का वह समय होता है जब गांव वाले दो त्योहार मनाते हैं1 प्रथम माह में वे अपने खेतों में छह माह तक की गयी कड़ी मजदूरी के अंत के रूप में मनाते हैं जो लम्बे समय से चले आ रहे देवघाटी मेले के नाम से आयोजित किया जाता है1 मेले के पीछे मान्यता है कि ..सोमेश्वर.. जो स्थानीय देवता हैं. जखोल मंदिर से अपना स्थान छोड़कर पड़ोसी गांव में जाते हैं1 इस देवता की प्राचीन कांस्य प्रतिमा एक डोली के रूप में अंदर रखी गयी है जो गावं वालों के द्वारा बेहद खुशी के साथ ले जायी जाती है1 यह भी मान्यता है दूसरे देवता भी उनके कदमों का मार्गदर्शन करते हैं1 सांकरी के निकट सौर गावं इस घटना के साक्ष्य के लिये बेहतर जगह है1 इनको देखने के लिये पड़ोसी गांवों से लोग यहां इकट्ठे होते हैं1 रामगुलाम शिव मनोरंजन 1158 वार्ता.