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कार्यपालिका किसी भी समझौते पर अमल के लिए स्वतंत्र

By Staff
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नयी दिल्ली 4 अक्टूबर: संघीय कार्यपालिका अर्थात केंद्र सरकार किसी संधि अथवा समझौते को लागू करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है. इसके लिए वह संसद से कानून पारित कराने को बाध्य नहीं है, बशर्ते उस संधि अथवा समझौते से संविधान या किसी कानून का उल्लंघन नहीं होता हो. जाने माने संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप का मानना है कि संघीय कार्यपालिका बगैर कानून बनाए किसी अन्य देश के साथ हुए संधि समझौते को लागू कर सकती है. कश्यप के अनुसार उच्चतम न्यायालय ने माधव राव बनाम भारत सरकार एआईआर 1971 के मामले में स्पष्ट किया है कि कार्यपालिका संविधान या कानून के दायरे में हर काम कर सकती है. इसके लिए उसे विधायिका की ओर मँह ताकने की जरूरत नहीं हैं. न्यायालय ने अपने एक से अधिक फैसलों में कहा है कि संघीय कार्यपालिका को बिना कोई कानून बनाए किसी भी समझौते को लागू करने का पूरा अधिकार है.

कश्यप ने संघीय कार्यपालिका के अधिकारों की यह व्याख्या उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीशो न्यायमूर्ति पी. बी. सावंत और न्यायमूर्ति वी. आर कृष्णा अय्यर और बंबई उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एच सुरेश के उस लिखित बयान पर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि भारत अमरीका असैन्य परमाणु समौते को संसद की मंजूरी के बगैर अमल में लाए जाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से उठाया गया कोई भी कदम असंवैधानिक होगा. तीनों पूर्व न्यायाधीशों ने संविधान के अनुच्छेद 73 253 और सातवीं अनुसूची में वणित संघीय सूची की प्रविष्टियां 6, 13 और 14 का उल्लेख करते हुए कहा है कि बगैर कानून बनाए इस परमाणु समौते को कार्यान्वित करने के लिए केंद्र सरकार का कोई भी कदम असंवैधानिक और संसद के अधिकारों का हनन है.

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