200 करोड़ खर्च कर सरकार इंजीनियरों से ना करा सकी जो काम, पांचवीं पास ने कर दिखाया
200 करोड़ खर्च कर सरकार इंजीनियरों से ना करा सकी जो काम, पांचवी पास ने फ्री में कर दिखाया200 करोड़ खर्च कर सरकार ना करा सकी जो काम, पांचवी पास ने कर दिखाया
नई दिल्ली। राजस्थान के कोटा में नीरज तिवारी नाम के शख्स ने वो कर दिखाया, जिसके लिए सरकारें करोड़ों खर्च कर चुकी थीं। यहां के गुमानपुरा निवासी नीरज ने बायो सीवरेज ट्रीटमेंट एंड इलेक्टिसिटी जनरेशन प्लांट तैयार किया है। खास बात ये है कि इसके लिए उन्हें सरकार से कोई मदद नहीं मिली है, उन्होंने अपने स्तर पर ही ये काम किया है।
नीरज तिवारी ने बनाया प्लांट
पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक, कोटा नगर विकास न्यास और नगर निगम करोड़ों रुपए इस पर खर्च कर चुका है और इसके लिए कई बार विशेषज्ञों की मदद भी ली जा चुकी है लेकिन बायो सीवरेज ट्रीटमेंट एंड इलेक्टिसिटी जनरेशन प्लांट तैयार करने में कामयाबी मिली नीरज तिवारी को। महज पांचवी पास नीरज ने अपनी मेहनत के दम पर नालों के पानी को पीने लायक बनाने में कामयाबी हासिल कर ली।
ऐसे काम करता है प्लांट
नीरज ने वेस्टेज से बनाए गए इस प्लांट में सीवरेज को साफ करने के लिए तीन हिस्सों में बंटी टनल बनाई है। टनल को नाले से जोड़ा गया है। सभी टनल में 5-5 एनीकट बनाए गए हैं। पहले एनीकट में लाइम स्टोन, दूसरे में रथकांकर स्टोन, तीसरे में तारकोल, चौथे में इंटें और पांचवे में मिक्स मैटेरियल के साथ फिटकरी डाली गई है। कचरा रोकने को फिल्टर लगाए गए हैं।
पहली टनल में पानी फिल्टर होने के बाद टैंक में गिरत है, जिससे गाद नीचे बैठ जाए। यहां से टैंक दूसरी और फिर तीसरी टनल में जाता है। यहां जाइलम और श्लोयम टिश्यूज के जरिए पानी फिल्चर होता और फिर पानी साफ होता है। नीरज ने बताया कि नमूने में पाया गया कि उनके प्लांट में साफ होने के बाद पानी के हानिकारक तत्व खत्म हो चुके थे लेकिन पानी में ऑक्सीजन की मात्रा घट गई थी।
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नहीं दी गई नीरज के काम को तवज्जो
नीरज ने ना सिर्फ गंदे पानी को पीनी लायक बनाने के लिए प्लांट तैयार किया, साथ ही इसमें आने वाली लागत के लिए इसी से बिजली बनाने का तरीका भी खोजा। हालांकि उनके काम को ना नगर निगम ने तवज्जो दी और ना किसी प्रशासनिक अधिकारी ने। जिला उद्योग केंद्र महाप्रबंधक वाईएम माथुर ने प्लांट की तारीफ करते हुए जरूर कोटा में 14 प्लांट लगाए जाने की बात कही। हालांकि जमीन पर इसको लेकर अभी तक कोई काम नहीं हुआ है।
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