क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

कंचनजंगा पर चढ़ाई कर 22 साल की शीतल ने रचा इतिहास, बनी सबसे कम उम्र की महिला पर्वतारोही

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के छोटे से गांव की रहने वाली शीतल राज कंचनजंगा पर्वत पर चढ़ाई करने वाली सबसे कम उम्र की महिला बन गई हैं। शीतल राज ने महज 22 साल की उम्र में दुनिया के तीसरे सबसे ऊंचे पर्वत की चढ़ाई की है। शीतल ने 21 मई को कंचनजंगा की चोटी पर पहुंचकर अपना अभियान खत्म किया।

Google Oneindia News

नई दिल्ली। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के छोटे से गांव की रहने वाली शीतल राज कंचनजंगा पर्वत पर चढ़ाई करने वाली सबसे कम उम्र की महिला बन गई हैं। शीतल राज ने महज 22 साल की उम्र में दुनिया के तीसरे सबसे ऊंचे पर्वत की चढ़ाई की है। शीतल ने 21 मई को कंचनजंगा की चोटी पर पहुंचकर अपना अभियान खत्म किया। माउंट एवरेस्ट और के2 के बाद कंचनजंगा दुनिया का तीसरा सबसे ऊंचा पर्वत है।

सिर्फ 22 साल की उम्र में चढ़ गईं कंचनजंगा

सिर्फ 22 साल की उम्र में चढ़ गईं कंचनजंगा

पिथौरागढ़ की रहने वालीं शीतल राज ने सिर्फ 22 साल की उम्र में दुनिया का तीसरा सबसे ऊंचा पर्वत फतह कर लिया है। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार शीतल ने 21 मई को कंचनजंगा पर चढ़ाई पूरी की। कंचनजंगा के लिए शीतल राज का अभियान अप्रैल में निकला था। नेपाल पहुंचने के बाद इस अभियान के लोगों ने बेस कैंप के लिए चढ़ाई शुरू की जिसमें उन्हें 15 दिन लग गए। बेस कैंप से उन्होंने आगे के लिए चढ़ाई शुरू की जोकि काफी मुश्किल थी। राज ने बताया कि बेस कैंप से निकलने के बाद जब वो कैंप 1 और 2 पूरा करते हुए कैंप 3 पहुंचे तो वहां हिमस्खलन हो गया था।

पायलट बेटी ने उड़ाई एयर होस्टेस मां की आखिरी फ्लाइट, सालों का सपना किया पूरापायलट बेटी ने उड़ाई एयर होस्टेस मां की आखिरी फ्लाइट, सालों का सपना किया पूरा

जब शुरुआत में ही मिल गई मुश्किल

जब शुरुआत में ही मिल गई मुश्किल

इतने आगे आकर वहां से कोई नहीं लौटना चाहता था, लेकिन खराब मौसम ने आगे की चढ़ाई को रोक दिया था। अभियान के लीडर ने खराब मौसम के कारण चढ़ाई न करने का सुझाव दिया लेकिन कोई इतना आगे पहुंचकर वापस घर नहीं लौटना चाहता था। इसके बाद सभी ने मौसम के ठीक होने का इंतजार किया और फिर 18 मई को दोबारा से चढ़ाई के लिए निकले। कैंप 4 में पहुंचने में शीतल के ग्रुप को दो दिन का समय लग गया, जिसके बाद उन्होंने कंचनजंगा पर्वत के लिए चढ़ाई शुरू की।

पर्वत से दिखा भारत, नेपाल और चीन

पर्वत से दिखा भारत, नेपाल और चीन

21 मई को सुबह 3:30 बजे शीतल और उनका ग्रुप कंचनजंगा की चोटी पर पहुंचा। कंचनजंगा को फतह करने पर शीतल ने कहा, 'मुझे ऐसा लगा मैं घर में हूं। उस वक्त बहुत अंधेरा था, इसलिए हमने सूर्योदय तक का इंतजार किया। सूर्योदय के बाद जो नजारा दिखा वो अद्भुत था। एक तरफ हम भारत देख पा रहे थे और एक तरफ नेपाल था, और हमारे सामने चीन का बॉर्डर। वो एक अलग ही अनुभव था।' इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन (IMF) के अध्यक्ष रिटायर्ड कर्नल एचएस चौहान ने भी शीतल की तारीफ की है और कहा कि उन्हें शीतल पर गर्व है। सबसे कम उम्र में कंचनजंगा फतह करने वाली पहली महिला बनीं शीतल के लिए यहां तक आने का रास्ता इतना आसान नहीं था।

आशाराम चौधरी: बेटे के कॉलेज की बिल्डिंग देखकर क्या बोले कचरा बीनने वाले उसके पिताआशाराम चौधरी: बेटे के कॉलेज की बिल्डिंग देखकर क्या बोले कचरा बीनने वाले उसके पिता

संघर्ष भरी है शीतल की कहानी

संघर्ष भरी है शीतल की कहानी

उन्होंने इसके लिए काफी संघर्ष किया है। शीतल पिथौरागढ़ के एक छोटे से गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता ड्राइवर और मां गृहणी हैं। शीतल को हमेशा से ही पहाड़ों से काफी लगाव था और उन्होंने अपना पहला अभियान साल 2014 में कॉलेज के जरिये पूरा किया। शीतल के परिवारवाले उन्हें इसके लिए भेजने को बिल्कुल राजी नहीं थे, लेकिन शीतल अपनी जिद पर अड़ी रहीं और आखिर में घरवालों को उनके आगे झुकना पड़ा। इस अभियान पर जाने के बाद तो जैसे शीतल के पैर रुके ही नहीं। उन्होंने डार्जलिंग में हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट से माउंटेनियरिंग में कोर्स किया और इसके बाद कई अभियान पर गईं और सभी में पास भी हुईं।

अगला टारगेट - माउंट एवरेस्ट

अगला टारगेट - माउंट एवरेस्ट

प्री-एवरेस्ट माउंट त्रिशूल को पूरा करने के बाद शीतल को पूरी उम्मीद थी कि उनका माउंट एवरेस्ट अभियान के लिए भी सलेक्शन हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सलेक्शन न होने पर शीतल इतनी डिप्रेशन में चली गईं कि उन्होंने अपना कॉलेज तक छोड़ दिया। एक साल तक डिप्रेशन से लड़ने के बाद शीतल ने आखिर इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन में मेंबरशिप के लिए अप्लाई किया और उसकी तरफ से कई अभियान का हिस्सा बनीं। इसके बाद ही शीतल को ओएनजीसी के लिए कंचनजंगा जाने का मौका मिला। शीतल की नजरें अब दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट पर है। माउंट एवरेस्ट तक पहुंचने में करीब 20-25 लाख का खर्चा आएगा, जिसके लिए शीतल फिलहाल स्पॉन्सरशिप ढूंढ रही हैं। (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

कचरे में मिली बच्ची को जब कोई दूध पिलाने को नहीं हुआ तैयार, एसआई ने कराया स्तनपानकचरे में मिली बच्ची को जब कोई दूध पिलाने को नहीं हुआ तैयार, एसआई ने कराया स्तनपान

Comments
English summary
22 Year-Old Girl Sheetal Raj From Pithoragarh Became The Youngest Woman To Climb Mount Kanchenjunga.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X