ऐ नीतीश बाबू, ये कबूतर जा जा छोड़िए, बताइए प्यार हमसे करते हैं कि मोदी जी से
हे नीतीश बाबू हम तुम्हारे इशारों को हां समझें या ना समझें
नई दिल्ली। नीतीश कुमार पिछले कुछ समय से ऐसे हो गए हैं, कि बांग्लादेश की क्रिकेट टीम के बारे में कोई भविष्यवाणी की जा सकती है लेकिन उनके बारे में नहीं। वो सुबह कुछ और होते हैं तो शाम में कुछ और। इस सबको लेकर सबसे ज्यादा परेशान उनके साथ बिहार में सरकार चला रहे लालू यादव हैं।
जब से राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए के उम्मीदवार को नीतीश ने समर्थन की बात कही, तभी से लालू जी उनको पकड़ने की फिराक में थे। वो फंस नहीं रहे थे कि आज उन्होंने धीरे से जाकर बैठक में उनको पकड़ लिया और हो गए अपने ही अंदाज में शुरू हो गए..
लालू- अरे नीतीश बाबू, हम फोन करते हैं, तो नहीं उठाते, मिलने आते हैं तब गायब.. हमारे साथ हाइड एंड सीक खेल रहे हो क्या?
नीतीश- अरे आइए लालू जी, बैठिए, आपकी शिकायत जायज है। अब आप गुस्सा थूक दीजिए. आराम से बैठ के बात करते हैं।
लालू- अरे क्या बात करते हैं? आपकी बात का पता भी टेलीविजन से चलता है कि किस तरफ से बोल रहे हैं. कब इधर आ गए, कब उधर चले गए। तुम तो पेंडुलम हो गए हो नीतीश बाबू, कहीं रुकने का नाम नहीं।
नीतीश- अच्छा बताइए, गुस्सा किस बात पर है?
लालू- आप ऊ.. संघ का आदमी को समर्थन काहे दिये राष्ट्रपति चुनाव के लिए?
नीतीश- लालू जी, आप क्यों इस इलेक्शन को दिल पर ले रहे हो? कोई भी जीते, कोई हारे, इससे हमें कौन सा लंबा-चौड़ा फायदा होने वाला है?
लालू- तो तुम बिना फायदा कोई काम नहीं करोगे?
नीतीश- ये आप हमसे पूछ रहे हैं??? आप खुद भी तो.. हूं?
लालू- अरे सब छोड़िए, आप भूल गए हम आपका तिलक किए थे सबके सामने और सीएम माने थे बिहार का. अभी दो साल ही तो हुए हैं।
नीतीश- सीएम बनाए थे, तो हम अपना काम कर रहे हैं ना..
लालू- क्या काम कर रहे हैं। मोदी जी के रनर बने हुए हैं आप तो. शॉट ऊ मारते हैं दौड़के रन आप बनाते हैं। बॉलिंग आता हो मोदी जी को सारा फुलटॉस देते हो। हमे थर्ड अंपायर बना के बैठा दिए, बस स्क्रीन पर देखते रहो कि कौन रनआउट हुआ। हम तुमको इसीलिए समर्थन दिए थे कि तुम मोदी के लिए बैटिंग करते रहो??
नीतीश- देखिए लालूजी, हम इस बात को 100 बार कह चुके हैं कि बिहार में हम आपको छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे. सरकार चलेगी साथ में।
लालू- मतलब आप सुबह साखा में लाठी भी चलाएंगे और दिन में हमारे साथ सरकार भी?
नीतीश- ये आरोप हम बिल्कुल सहन नहीं करेंगे लालू जी, हम संघ के विरोधी थे और रहेंगे। अब आप ज्यादा ही बेचैन हुए जा रहे हैं।
लालू- अरे, सब मिलके हम को बैचेन कर भी तो रहे हैं। बिहार में सबसे बड़ी पार्टी हमारी हैं, आपको समर्थन दिए हैं, आप मजे में सरकार चला भी रहे हैं लेकिन हमारे साथ क्या हो रहा है?...
नीतीश- आप भावुक हुए जा रहे हैं. लीजिए पानी पीजिए और मुझे बताइए अपने दिल की बात..
लालू- आप को तो कोई परेशानी नहीं है नीतीश जी, आप तो सीएम बनके ऐश में हैं. हमें परेशानी होती है आपकी हूं हुआं से, समझ नहीं आता कि हां कर रहे हैं या ना। पता ही नहीं चल रहा कि आप कब ये कह दें कि हम तो भाजपा के साथ जा रहे हैं...
नीतीश- आपने मुझे हमेशा छोटा भाई कहा है, मेरे होते हुए आपको परेशान होने की जरूरत नहीं।
लालू- देखिए, इत्ती आसानी से तो लालू परेशान नहीं होता.. लेकिन सीबीआई, सीआईडी, इंकम टैक्स सबको हम ही दिखते हैं. ऐसा लगता है अमेरिका तक का खुफिया लोग हमारे पीछे पड़ा है. कहां हमारे बेटे का घर है, कहां बेटी का, हम क्या खाए, क्या पीए... सबका हिसाब मांगता है ये सीबीआई और इंकम टैक्स.. आपसे तो कोई कुछ नहीं पूछता?
नीतीश- मैं कोशिश करूंगा अपनी तरफ से कि ये मामले निपटें..
लालू- तुम काहे कोशिश करोगे? तु्म्हारे पीछे कौन सा सीबीआई है? अरे, हमें अपनी फिक्र नहीं लेकिन बच्चा लोग लैपटॉप वगैरह चलाते हैं और ये सीबीआई वाला उसकी भी जांच करता है तो फिर टेंशन होता है। लड़का लोग क्या-क्या देखता है लैपटॉप पर, कहीं वायरल कर दिए तो..
नीतीश- बच्चों की फिक्र हमें भी है.
लालू- हमारा दिल रख रहे हो बस तुम.. तुम्हारा बेटा तो जोगी-सन्यासी कुछ हो गया है.. तो तुम्हे क्यों फिक्र हो? अब हमारे सामने तो बेटों के करियर का सवाल है, तो हमें तो फिक्र रहती है ना...
नीतीश- आप निश्चिंत रहें, अब हम चलते हैं.. जेटली जी के साथ एक मीटिंग है जीएसटी को लेकर..
लालू- वाह साब, जेटली से मीटिंग करने जा रहे हैं और हम निश्चिंत रहें.. इश्क में तो ना का मतलब हां होता है लेकिन समझ में नहीं आ रहा कि राजनीति में नीतीश बाबू की बात का मतलब क्या होता है.. खुद भी कन्फयूज, हमें भी कन्फयूजियाए...
(यह एक व्यंग्य लेख है)