राहुल भाई, मोदी को तार पकड़ने को कहकर ही गलत कर दिया बस...
बात करने को कौन मना कर रहा है राहुल भाई लेकिन जल्दी क्या है?? कल भी तो कर सकते हैं.. आप तो चुप ही नहीं हो रहे, थाइलैंड के लिए निकलना है क्या?
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में भाजपा की प्रचंड जीत हो गई है। भगवा पार्टी को 300 से ज्यादा सीटें मिली हैं। राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने लगातार 'काम बोलता है' का नारा देकर चुनाव प्रचार किया लेकिन उनको बड़ी हार मिली है। अब राहुल और अखिलेश इसको लेकर बातचीत कर रहे हैं।
राहुल- भैया, अब क्या होगा?
अखिलेश- अरे क्या है भाई... क्या होगा?
राहुल- भैया, आप तो बुरा मान रहे हो, काम नहीं बोला तो क्या आप भी ना बोलोगे मुझसे?
अखिलेश- बात करने को कौन मना कर रहा है लेकिन जल्दी क्या है??? कल भी तो कर सकते हैं... आप तो चुप ही नहीं हो रहे, थाइलैंड के लिए निकलना है क्या?
राहुल- यार आप तंज कर रहे हो, आपने ही कौन सा तीर मार दिया है। बात तो करनी पड़ेगी, हम ही आपस में लड़ेंगे तो कैसे होगा?
अखिलेश- अच्छा बैठो भाई... यार काबू में नहीं है दिमाग कुछ भी कह दे रहा हूं. बताओ क्या बात करनी है।
राहुल- भाई यूपी में अब कुछ नहीं बचा, हमारा साथ तो जनता को पसंद ही नहीं आया...
अखिलेश- हां भाई बात तो सही है। हमने वो गधों वाली बात कही थी लेकिन अब पता नहीं कि जनता ने क्या समझ लिया। मामला उल्टा ही कर दिया।
राहुल- भैया, हमने तो कोई कमी नहीं की अपनी तरफ से, पता नहीं फिर क्या गलती हो गई। इतने ऊंचे ट्रक पर भी चढ़े, फिर भी हार गए जबकि सच ये हैं कि मुझे ऊंचाई से डर लगता है।
अखिलेश- अरे वहीं से तो मामला खराब हुआ, वो तार पकड़ने से और बिजली के आने-जाने से मामला शुरू हुआ बातचीत का। अब देखो हमने उन्हें तार पकड़ने के कहा था उन्होंने हमें ही करंट लगा दिया।
राहुल- खैर भैया आप की तो हाफ सेंचुरी हो भी गई, मैं तो नॉन-स्ट्राइक पर ही खड़ा-खड़ा रनआउट हो गया। अब बताओ कि जब मैं कप्तान होते हुए ही रनआउट हो गया तो टीम को क्या कहूं?
अखिलेश- आप टीम को टीम के हाल पर छोड़कर आप विदेश घूम आओ भाई, टीम के लिए भी यही ठीक है और हमारे लिए भी। और भी नहीं कुछ होगा तो मेरे कुछ समाजवादी साथी अपना गुस्सा जरूर तुम पर उतार देंगे।
राहुल- तो भैया मैं कुछ दिन के लिए हो आता हूं फॉरेन में.. फिर आकर बात करते हैं आगे क्या करना है।
अखिलेश-
हां
आप
निकल
ही
जाओ
कुछ
दिन
के
लिए..
मैं
भी
परिवार
को
वक्त
दूंगा।
मुझे
तो
तुम्हारी
भाभी
की
फिक्र
है,
बच्चों
को
छोड़कर
दिन-रात
चुनाव
में
लगी
रही...
खैर
अब
क्या
कर
सकते
हैं।
अब
तो
डिंपल
और
बच्चों
के
साथ
रहूंगा
कुछ
दिन
बस....
(यह
एक
व्यंग्य
लेख
है)
और भगवा रंग से भरी बाल्टी लेकर माया-अखिलेश की ओर दौड़ पड़े अमित शाह