टीपू भैया, उधार के हाथ से अच्छा तो चाचा को बैठा लेते साइकिल पर.. मस्त घंटी बजाते
भैया, आपका विकास आपके साथ ही चल रहा था.. आप बस पर चढ़े तो वो भी चढ़ा लेकिन आप तो तार आने पर झुक गए और विकास तारों में उलझ के गिर गया।
नई दिल्ली। सभी पार्टियां और उनके नेता इन दिनों चुनाव प्रचार में डटे हुए हैं। अखिलेश यादव भी हर रोज जोर-शोर से प्रचार कर रहे हैं। अखिलेश यादव जहां भी जाते हैं, वो मायावती और मोदी पर निशाना साधना नहीं भूलते लेकिन कई बार जनता के बीच से ही तीखे बोल सुनने को मिल जाते हैं।
आज जब वो एक रैली में पहुंचे तो एक हूटर कन्नू से उनका पाला पड़ गया... वो मंच के नीचे से अखिलेश को हूट करने लगा। अखिलेश ने पूछा आप कौन? तो मंच के एकदम नीचे बैठे साहब बोले हमारा नाम है कन्नू...
अखिलेश (मंच से)- हमने बहुत काम किया, प्रदेश के लिए बहुत कुछ किया। लेकिन अच्छे दिन वालों ने बहुत धोखा दिया।
कन्नू- अरे भैया आपने क्या किया?
अखिलेश- हमने विकास किया..
कन्नू- ओहो... हम भी कहें कि मोदी जी कहते थे विकास पैदा होगा... तो वो वहां इसलिए नहीं हुआ क्योंकि यहां पैदा हो गया...
अखिलेश- अरे मोदी जी ने तो धोखा दिया, हमने प्रदेश का विकास किया।
कन्नू- भैया, आपका विकास आपके साथ ही चल रहा था.. आप बस पर चढ़े तो वो भी चढ़ा लेकिन आप तो तार आने पर झुक गए और विकास तारों में उलझ के गिर गया... भीड़ में गिरा था, अब पता नहीं बचा होगा या नहीं...
अखिलेश- (ये कौन बैठ गया स्टेज के पास...) देखिए, हमने काम किया है और उसी के दम पर वापस आएंगे।
कन्नू- भैया, हमने तो सुना आप 'हाथ' के दम पर वापस आना चाह रहे हो...?
अखिलेश- अरे हाथ तो साइकिल के साथ है, ताकि साइकिल ज्यादा तेज चले।
कन्नू- अरे भैया, आप बेवजह दिल्ली से 'हाथ' लाए वो भी 'खाली'.. चाचा को बैठा लिए होते साइकिल पे.. मस्त घंटी बजाते... ट्रिन्न... ट्रिन्न.... वैसे बजा तो वो अभी भी रहे हैं।
अखिलेश-(ये नहीं मानेगा)... देखिए.. कुछ लोगों ने तो पत्थर की सरकार चलाई.. उनके हाथी बैठे हैं, उठ नहीं पा रहे...
कन्नू- आपको हाथी को उठाकर कहां ले जाना है??? विकास की गााड़ी में जोड़ेंगे क्या? हाथी छोड़िए और पंप उठाके अपनी साइकिल में हवा भरिए...
अखिलेश- (ये ना मानेगा, भाषण खत्म कर लूं) और अपनी बात खत्म करूंगा ये कहते हुए कि समाजवादियों की सरकार बन रही है नेताजी के आशीर्वाद से...
कन्नू- नेताजी के आसीवाद से बन्नई है तो फिर तो बन गई टीपू भैया....
(यह एक व्यंग्य लेख है)
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