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शोध में पता चला है कि कोरोना इलाज में खास कारगर नहीं है प्लाज्मा थेरेपी: आईसीएमआर

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नई दिल्ली। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानी आईसीएआर द्वारा किए गए अध्ययन में पता चला है कि कांस्टेलेसेंट प्लाज्मा (CP) थेरेपी के इलाज से कोरोना रोगियों के इलाज में कोई खास लाभ नहीं मिलता है और न ही इस थेरेपी ने रोगियों की मृत्यु दर को कम करने में खास योगदान किया है। यह खुलासा आईसीएआर द्वारा फंडेड मल्टी सेंट्रिक अध्ययन में किया गया है। इस अध्ययन के परिणाम को प्री मिंट मेड्रिक्सव में प्रकाशित किया गया है।

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कोरोना मरीजों के लिए इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी की काफी चर्चा हुई

कोरोना मरीजों के लिए इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी की काफी चर्चा हुई

गौरतलब है कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी की काफी चर्चा हुई थी। दिल्ली और महाराष्ट्र में प्लाज्मा बैंक तक स्थापित कर दिए। वहीं, हरियाणा में भी मामूली रूप से बीमार रोगियों पर इस थेरेपी का उपयोग किया गया था। हालांकि इसके लाभ को लेकर तब भी आशंकाएं लगातार जताई जाती रहीं थी और अब इसकी पुष्टि आईसीएमआर के अध्ययन में हो चुका है कि यह खास लाभकारी नहीं हैं।

सीपी थेरेपी में कोरोना से उबर चुके व्यक्ति के रक्त से एंटीबॉडी ली जाती है

सीपी थेरेपी में कोरोना से उबर चुके व्यक्ति के रक्त से एंटीबॉडी ली जाती है

दरअसल, सीपी थेरेपी में कोविड-19 से उबर चुके व्यक्ति के रक्त से एंटीबॉडीज ले कर उसे संक्रमित व्यक्ति में चढ़ाया जाता है, ताकि उसके शरीर में संक्रमण से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो सके। अध्ययन के अनुसार कोविड-19 के लिए सीपी के इस्तेमाल पर केवल दो परीक्षण प्रकाशित किए गए हैं, एक चीन से और दूसरा नीदरलैंड से। इसके बाद ही दोनों देशों में इसे रोक दिया गया था।

ICMR अध्ययन में 464 मध्यम-बीमार रोगियों पर किया गया था

ICMR अध्ययन में 464 मध्यम-बीमार रोगियों पर किया गया था

ICMR अध्ययन में 464 मध्यम-बीमार रोगियों पर किया गया था। अध्ययन में हिस्सा लेने वाले वॉलंटियर्स को 235 और 229 रोगियों के दो समूहों में विभाजित किया। हस्तक्षेप शाखा को सीपी दिया गया था जबकि नियंत्रण शाखा को मानक देखभाल दी गई थी। रैंडम परीक्षण के अंत में शोधकर्ताओं ने दो समूहों के बीच मृत्यु दर में बहुत अंतर नहीं पाया।

अध्ययन में प्लाज्मा थेरेपी के उपयोग के परिणामों पर स्पष्ट सबूत मिले हैं

अध्ययन में प्लाज्मा थेरेपी के उपयोग के परिणामों पर स्पष्ट सबूत मिले हैं

अध्ययन के अनुसार हस्तक्षेप शाखा में 34 लोगों (13.6%) की मृत्यु हुई, जबकि नियंत्रण शाखा में 31 लोगों (14.6%) की मृत्यु हुई। इसके अलावा उन रोगियों के बीच परिणाम में कोई अंतर नहीं था, जो सीपी को डिटेक्टेबल न्यूट्रिलाइजिंग एंटीबॉडीज और रोगियों के साथ प्राप्त कर रहे थे और जो लोग केवल मानक देखभाल प्राप्त कर रहे थे। विशेषज्ञों ने कहा कि अध्ययन में प्लाज्मा थेरेपी के उपयोग के परिणामों पर स्पष्ट सबूत दिए गए हैं और निष्कर्षों का इस्तेमाल कुछ बहस और चर्चाओं को किया जाना चाहिेए, जो उस पर सवाल उठाती हैं।

प्लाज्मा बैंकों और प्लाज्मा थेरेपी के लिए एक धक्का है अध्ययनः डा.कलंत्री

प्लाज्मा बैंकों और प्लाज्मा थेरेपी के लिए एक धक्का है अध्ययनः डा.कलंत्री

महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, वर्धा के निदेशक डॉ. एसपी कलंत्री ने कहा कि आईसीएमआर अध्ययन में उजागर हुए तथ्य रामबाण के रूप में देखे जा रहे प्लाज्मा थेरेपी प्लाज्मा बैंकों और प्लाज्मा के लिए एक धक्का है, जिसने कोरोना इलाज के बारे में झूठी उम्मीद दी। डॉ। कलंत्री ने आगे कहा कि वह प्लाज्मा थेरेपी को लेकर आईसीएमआर द्वारा किए गए एक अध्ययन से खुश हैं, जो बहुत महत्वपूर्ण था।

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English summary
Studies conducted by the Indian Council of Medical Research, ie ICAR, have shown that treatment of constellant plasma (CP) therapy does not provide any significant benefit in the treatment of corona patients, nor has this therapy helped to reduce patients' mortality. Has contributed. This was revealed in a multi-centric study funded by ICAR. The results of this study have been published in Pre Mint Medrixv.
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