जानिए क्या है वो ऐतिहासिक Israel-UAE Peace Deal जिस पर Nobel के लिए हुआ ट्रंप का नामांकन
वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया है। यह सुनते ही शायद कोई भी शख्स ऐसा नहीं था जिसे हैरानी न हुई हो। ट्रंप को इजरायल और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच हुए एतिहासिक शांति समझौते की वजह से इस शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया है। 15 सितंबर को ट्रंप इस समझौते पर एक कार्यक्रम रखेंगे और इसमें दोनों देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और यूएई के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिना जायद अल नाहन व्हाइट हाउस में इस समझौते को साइन करेंगे। जानिए आखिर क्या है यह डील जिसकी वजह से ट्रंप नोबेल पुरस्कार के लिए नामित हुए हैं।
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इजरायल को मान्यता देने वाला तीसरा अरब देश
इजरायल और यूएई के बीच हुए इस शांति समझौते में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बड़ी भूमिका रही है। दोनों देशों के बीच हुए इस समझौते को मीडिल ईस्ट में शांति और स्थिरता के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस समझौते के बाद दोनों देशों के बीच पूर्ण राजनयिक संबंध बहाल हो सकेंगे। साथ ही दोनों देश 72 साल पुरानी दुश्मनी को भुला कर आगे बढ़ सकेंगे। इजरायल के साथ सक्रिय राजनयिक संबंध स्थापित करने वाला यूएई पहला खाड़ी देश और तीसरा अरब देश है। इससे पहले इजिप्ट ने साल 1979 और जॉर्डन ने साल 1994 में इजरायल के साथ शांति समझौता किया था। यह बात भी गौर करने वाली है कि इजरायल और यूएई, दोनों ही अमेरिका के लिए काफी अहम हैं। 13 अगस्त 2020 को इजरायल और यूएई इस शांति समझौते पर रजामंद हुए थे।
वेस्ट बैंक पर अपना नियंत्रण छोड़ेगा इजरायल
15 सितंबर को समझौते पर साइन होते ही यूएई और इजरायल के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध बहाल हो जाएंगे। समझौते के तहत इजरायल इस बात पर राजी हुआ है कि वह वेस्ट बैंक के हिस्सों पर कॉलोनी बनाने की अपनी योजना पर विराम लगा देगा। वेस्ट बैंक, इजरायल और जॉर्डन के बीच स्थित है। वेस्ट बैंक का एक अहम शहर है रामल्लाह जो फिलीस्तीन की राजधानी है। इजरायल ने सन् 1967 में छह दिनों तक चले अरब-इजरायल वॉर के बाद इस हिस्से को अपने नियंत्रण में ले लिया। इसके बाद यहां पर उसने अपनी बस्तियां बनाई थीं। अमेरिका, यूएई और इजरायल की तरफ से जारी एक साझा बयान में कहा गया था कि इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट्स, सुरक्षा, एनर्जी, टूरिज्म और मेडिकल जैसे अहम बिंदुओं पर साइन होंगे। पिछले दिनों इजरायल और यूएई के बीच डायरेक्ट फ्लाइट की शुरुआत भी हो गई है।
UAE नहीं देता था वेस्ट बैंक पर इजरायल को मान्यता
दरअसल में साल 1971 से यूएई, वेस्ट बैंक पर पर इजरायल के नियंत्रण को मान्यता नहीं देता था। हाल के कुछ वर्षों में ईरान के साथ भी इजरायल की दुश्मनी बढ़ी है। इसके साथ ही लेबनान के आतंकी संगठन हेजबोल्ला के कारण खाड़ी के अरब देशों और इजरायल के बीच करीबी बढ़ी है। साथ ही मुस्लिम ब्रदरहुड और हमास के विरोध की भी वजह से इजरायल के साथ संबंध कुछ सामान्य हुए हैं। इजरायल और यूएई के बीच यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की गठबंधन सरकार को देश के अंदर भारी विरोध झेलना पड़ रहा है। माना जा रहा है कि यह समझौता पीएम की राजनीतिक मदद कर सकता है। हालांकि समझौते के विरोध में आवाज उठनी शुरू हो गई है।
ट्रंप को मिलेगी चुनाव में मदद
हमास, जिसे इजरायल आतंकी संगठन और फिलीस्तीन राजनीतिक संगठन की मान्यता देता है, उसने इस डील को मानने से साफ इनकार कर दिया है। हमास का कहना है कि समझौता फिलीस्तीन और यहां की जनता के हित में नहीं है। वहीं समझौते के पक्षधर मानते हैं कि यह फिलीस्तीन की आजादी के संघर्ष, अरब देशों के यकीन और सहयोग पर आधारित है। वहीं, हमास इस समझौते को फिलिस्तीन के लिये एक बड़ी हार के तौर पर देख रहा है। यह समझौता ट्रंप को भी नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में बड़ी मदद कर सकता है। इसे तीन नवंबर को होने वाले चुनावों से पहले ट्रंप की एक राजनयिक जीत के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि उनके विरोधियों का कहना है कि ट्रंप के प्रयास अफगानिस्तान में युद्ध को खत्म करने से लेकर इजरायल-फिलीस्तीन के बीच शांति लाने में अभी तक विफल रहे हैं। इजिप्ट ने इस समझौते की सराहना की है और इसे महान हितों की दिशा में एक पहल बताया है। वहीं, पाकिस्तान, सऊदी अरब और तुर्की ने इसकी आलोचना की है।