सहायक शिक्षकों को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला पलटा
सहायक शिक्षकों को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला पलटा
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सहायक शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 30 मई 2018 के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें यूपीटेट (UPTET) रिजल्ट के बाद बीएड या बीटीसी की डिग्री पाने वालों को नौकरी के लिए अयोग्य करार दिया गया था।
टीईटी और बीएड के रिजल्ट को लेकर था फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते साल अपने एक फैसले में कहा था कि जिन लोगों का टीईटी रिजल्ट पहले आया और बीएड या बीटीसी का रिजल्ट बाद में आया उनका टीईटी प्रमाण पत्र वैध नहीं माना जाएगा। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट के इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया है। सुप्रीम कोर्ट यह फैसला 2011 और उसके बाद यूपी में हुए सभी टीईटी परीक्षाओ और नियुक्तियों पर लागू होता है।
50 हजार से ज्यादा सहायक शिक्षकों की नौकरी पर था संकट
हाईकोर्ट के आदेश के बाद से पचास हजार से ज्यादा सहायक शिक्षकों की नौकरी पर खतरा था। हाईकोर्ट के फैसले से सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में 2012 से 2018 के बीच नियुक्त उन शिक्षकों की नौकरी संकट में दिख रही थी, जिनका बीएड या बीटीसी की रिजल्ट टीईटी के बाद आया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन शिक्षकों ने राहत की सांस ली है।
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30 मई 2018 को दिया था हाईकोर्ट ने आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 मई के अपने आदेश में बेसिक शिक्षा अधिकारियों से कहा था कि जिन शिक्षकों के प्रशिक्षण का परिणाम उनके टीईटी रिजल्ट के बाद आया है उनका चयन निरस्त कर दें। इस आदेश की वजह 2012 के बाद प्राथमिक स्कूलों के लिए हुई प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती, सहायक अध्यापक और उर्दू भर्ती के अलावा उच्च प्राथमिक स्कूलों के लिए हुई विज्ञान और गणित विषय के सहायक अध्यापक भर्ती में चयनित शिक्षक प्रभावित हो रहे थी। ऐसे शिक्षकों की संख्या 50,000 से अधिक है जिनका ट्रेनिंग का परिणाम टीईटी के बाद घोषित हुआ था। वहीं इस आदेश का असर वर्तमान में चल रही 68,500 सहायक अध्यापक भर्ती पर भी पड़ने वाला था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से प्रभावित शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जहां से उन्हें राहत मिली है।