41610 सिपाही भर्ती 2011 : 2312 खाली पदों को भरने का आदेश
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश में 2013 में शुरू हुई 41610 कांस्टेबल भर्ती में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने इस भर्ती में खाली पड़े हजारों पदों को भरने का आदेश दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले को विस्तार देते हुये आरक्षण नियमावली की धारा 3(5) को असंवैधानिक बताया और पुलिस स्थापना बोर्ड को निर्देश दिया है कि 6 महीने के अंदर मेरिट के आधार पर खाली पड़े पदों को भर दिया जाए।
क्या
है
मामला
गौरतलब
है
कि
2013
की
41610
कांस्टेबल
भर्ती
में
2312
पद
खाली
रह
गए
थे।
यह
सभी
पद
क्षैतिज
आरक्षण
के
तहत
रिक्त
थे
और
सरकार
ने
इन
पदों
को
अगली
भर्ती
के
लिए
कैरी
फॉरवर्ड
कर
दिया
था।
हाईकोर्ट
में
दाखिल
याचिका
के
अनुसार
यह
खाली
पद
को
बदले
नियम
के
अनुसार
भरा
जाना
चाहिये
था।
लेकिन
प्रदेश
सरकार
ने
आरक्षण
नियमावली
के
नियम
3(5)
के
तहत
अगली
भर्तियों
के
लिए
अग्रसारित
कर
दिया
था।
इसे
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
में
2013
की
भर्ती
वाले
अभ्यर्थियों
ने
चैलेंज
किया
था।
याचिका
पर
सुनवाई
करते
हुए
हाईकोर्ट
ने
अभ्यर्थियों
के
पक्ष
में
ऐतिहासिक
फैसला
सुनाया
और
आरक्षण
नियमावली
की
धारा
3(5)
को
असंवैधानिक
करार
देते
हुए
पुलिस
स्थापना
बोर्ड
को
6
महीने
के
अंदर
मेरिट
के
आधार
पर
खाली
पड़े
पदों
को
भरने
को
कहा
है।
उत्तर प्रदेश लोकसेवा अधिनियम (पूर्व सैनिक स्वतंत्रता सेनानी व दिव्यांग व्यक्तियों के लिए आरक्षण) की धारा 5 (3) के तहत 2013 की 41610 पुलिस व पीएसी कांस्टेबल भर्ती में विशेष आरक्षित कोटे के पद आरक्षित थे लेकिन इन पदों पर उम्मीदवार ना मिलने के कारण 2312 पद रिक्त रह गए थे। सरकार ने आरक्षण नियमावली के तहत रिक्त बच्चे पदो को कैरी फॉरवर्ड कर दिया जिससे यह पद तब से खाली चल रहे हैं।
आरक्षण
के
फॉर्मूले
पर
सवाल
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
में
मुख्य
न्यायाधीश
डीबी
भोसले
व
न्यायमूर्ति
सुमित
कुमार
की
खंडपीठ
ने
इस
मामले
की
सुनवाई
शुरू
की
तो
अभ्यर्थियों
की
ओर
से
पेश
हुए
अधिवक्ताओं
ने
दलील
दी
कि
प्रदेश
सरकार
ने
7
अप्रैल
2016
को
सर्कुलर
जारी
कर
कैरी
फॉरवर्ड
का
नियम
खत्म
कर
दिया
है।
यानी
कि
धारा
3(5
)
हट
गई
है।
हाईकोर्ट
ने
मामले
में
नियमावली
को
लेकर
स्पष्ट
साक्ष्य
मांगे
तो
अधिवक्ताओं
ने
सुप्रीम
कोर्ट
के
इंद्रा
साहनी
केश
के
आदेश
को
पेश
किया
और
दलील
दी
गई
कि
अगर
आरक्षण
के
तहत
एक
भर्ती
में
बचे
हुए
पदों
को
उसमें
से
निकाल
दिया
है
और
इन
पदों
को
अगर
अगली
भर्ती
में
जोड़
दिया
जाता
है
तो
दोनो
भर्तियों
में
कुल
पदों
पर
लागू
आरक्षण
का
फार्मूला
गड़बड़
हो
जाएगा
क्योंकि
पद
जोड़े
जानी
वाली
भर्ती
में
आरक्षण
50%
से
अधिक
हो
जाएगा
और
सुप्रीम
कोर्ट
ने
इंद्रा
साहनी
केश
में
साफ
कहा
है
कि
किसी
भर्ती
में
आरक्षण
50%
से
ज्यादा
नहीं
होना
चाहिए।
हाईकोर्ट
ने
क्या
कहा
इलाहाबाद
हाई
कोर्ट
ने
याचिका
के
में
पेश
किए
गए
साक्ष्य
व
दलीलों
के
आधार
पर
पाया
कि
पुलिस
भर्ती
में
कैरी
फॉरवर्ड
किए
गए
पदों
से
संविधान
के
अनुच्छेद
14
और
16
का
उल्लंघन
हो
रहा
है।
इसलिये
इस
पर
हस्तक्षेप
करना
जरूरी
है
।
हाईकोर्ट
ने
याचिका
निस्तारित
करते
हुए
पुलिस
स्थापना
बोर्ड
से
कहा
कि
2013
की
भर्ती
में
जो
भी
पद
रिक्त
रह
गए
हैं
उनका
पता
लगाया
जाए
और
उन्हें
6
महीने
के
अंदर
मेरिट
के
आधार
पर
भरा
जाए
।
आरक्षण
नियमावली
की
धारा
3(5)
अनुच्छेद
14
और
16
का
उल्लंघन
करती
है
इसलिए
यह
पूरी
तरह
से
असंवैधानिक
है।
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