अनपढ़ होकर भी महीने में कमा रहे 25 हजार, जानिए कैसे?
बड़ी-बड़ी कंपनियां जैसे अपना काम कराने के लिए कर्मचारियों को हायर करती हैं वैसे ही नोएडा-ग्रेटर नोएडा के किसानों ने चरवाहों को हायर किया है।
नई दिल्ली। भैसों को चराकर अच्छी कमाई की जा सकती है। आप कहेंगे ऐसा संभव नहीं है, चरवाहा और मोटी कमाई भला कैसे कर सकता है। लेकिन ऐसा संभव है, नोएडा-ग्रेटर नोए़डा एक्सप्रेस के आस-पास के गांवों के किसानों ने चरवाहों को आउटसोर्स किया है और इन इलाकों में चरवाहे भैसों को चराकर अच्छा पैसा कमा रहे हैं।
भैंस चराओ हजारों कमाओ
बड़ी-बड़ी कंपनियां जैसे अपना काम कराने के लिए कर्मचारियों को हायर करती हैं वैसे ही नोएडा-ग्रेटर नोएडा के किसानों ने चरवाहों को हायर किया है। ये चरवाहे किसानों के भैंसों को चराते हैं और मोटी कमाई करते हैं। बिहार के सहरसा जिले के रहने वाले झकस कुमार ग्रेटर नोएडा के किसानों की भैंस चराकर हजारों कमा रहे हैं। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे के पास स्थित झट्टा गांव के किसानों ने अपनी भैंसो को चराने के लिए झकस को आउटसोर्स किया है।
बिहार से आते हैं चरवाहे
बिहार के सहरसा के रहने वाले झकस अनपढ़ हैं और ग्रेटर नोएडा में चरवाहें का काम कर 25 हजार रुपया महीना कमा रहे हैं। झकस के पास 50 भैंसें हैं जिनको लेकर वो रोज सुबह निकल जाते हैं और शाम तक सभी भैंसों को उनके मालिको के घर पहुंचा देते हैं।चरवाहे का काम करने वाले झकस अकेले नहीं है बिहार और यूपी के कई लोग यहां इसी काम में लगे हुए हैं।
किसानों के पास टाइम नहीं है
चरवाहे का काम करने वाले लोग गांव में ही किसी के मकान में किराये पर परिवार सहित रहते हैं। सुबह 8 बजे ये घर-घर जाकर भैंसो को खोलते हैं और उसे गांव के बाहर खेतों की ओर ले जाते हैं। भैंसो को चराने के बाद वे हिंडन या यमुना नदी में नहाने ले जाते हैं। उसके बाद शाम 5 बजे वापस भैंसो को गांव ले आते हैं। एक चरवाहे के मुताबिक नोएडा- ग्रेटर नोएडा के आसपास के गांवों में कई लोग भैंसों को चराने के काम में लगे हुए हैं। इस काम में अच्छे पैसे मिल जाते हैं। नोएडा, ग्रेटर नोएडा के अलावा हरियाणा के फरीदाबाद इलाके के गांवों में भी चरवाहों को काम मिल जाता है। इस काम में ज्यादातर बिहार और पूर्वी यूपी के लोग लगे हुए हैं।
ऐसे आया था आइडिया
गांव के ही सोहनपाल पहलवान के मुताबिक जो लोग चरवाहों का काम कर रहे हैं, वे मुख्य रूप से एनसीआर में फसल की बुआई और कटाई के लिए आते थे। यहां किसानों के पास समय नहीं होता कि वो अपने भैंसों को चराने ले जाए। किसानों ने ही इन मजदूरों को आइडिया दिया कि वह उनकी भैंस चरा दे, बदले में प्रति भैंस 500 से 700 रुपये महीना ले लें। आइडिया हिट हुआ और अब इलाके के बदौली, गुलावली, कोंडली, काम नगर आदि गांवों में इसी तर्ज पर भैंसो की चरवाही हो रही है। एक किसान के मुताबिक एक भैंस औसतन 8 से 10 किलो दूध हर रोज देती है। इस तरह महीने में एक भैंस से 15 हजार रुपये की कमाई हो जाती है। ऐसे में अगर 500 रुपये महीने लेकर कोई भैंसों को चरा देता है तो इससे किसानों को फायदा ही है।