कोविड-19 के बीच साइबर सुरक्षा की ओर बढ़ा कंपनियों का ध्यान, ऐसे पेशेवरों की मांग बढ़ी
नई दिल्ली। कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण के कारण देश में लॉकडाउन लगा हुआ है। इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों की न केवल नौकरी गई है बल्कि कई कंपनियों ने अपने यहां भर्ती भी नहीं की। लेकिन इस बीच साइबर सिक्योरिटी पेशेवरों की मांग काफी बढ़ गई है। आईटी वेंडरिंग से लेकर बैंकिंग, वित्तीय सेवा एवं बीमा (बीएफएसआई) क्षेत्र तक में साइबर सिक्योरिटी पेशेवरों की भर्ती हो रही है। कोरोना संकट के दौरान अगर कंपनियां रिमोट-वर्क मॉडल जारी रखती हैं और अपने नेटवर्क की सुरक्षा में सुधार करती हैं, तो ऐसे में भी साइबर सुरक्षा की मांग बढ़ जाती है।
हाल ही में साइबर सुरक्षा से जुड़े कुछ मामले सामने आए। जो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जूम एप और आईटी सर्विस प्रदाता कॉग्निजेंट से जुड़े थे। इससे भी कंपनियों का ध्यान साइबर सुरक्षा की ओर अधिक गया है। इस मामले में टीमलीज डिजिटल के हेड-स्पेशलाइज्ड स्टाफिंग सुनील सी का कहना है कि 'मांग 15% तक बढ़ गई है। कोविड-19 महामारी के बीच साइबर सुरक्षा के लिए बहुत सारे पद हैं। विशेष रूप से चार बड़ी कंसल्टिंग कंपनियों, आईटी सेवा कंपनियों से लेकर बीएफएसआई क्षेत्र तक में।'
उन्होंने आगे कहा, 'पिछले कुछ हफ्तों से नए कर्मचारियों की भर्ती में कमी देखी गई है, लेकिन मांग अब भी बनी हुई है। हालांकि, डिजिटलाइजेशन (विशेषज्ञ) और रेगुलर डेवलपर स्किल जैसे पदों के लिए मांग गिर गई है, इसलिए इन पदों को हटा दिया गया है।' क्यूटेक सिस्टम्स के सीईओ आनंद रामकृष्णन ने कहा, लॉकडाउन हटने के बाद कंपनियों के लिए साइबर सुरक्षा में भर्ती करना ही प्राथमिकता होगी। विशेषज्ञों द्वारा किए गए काम की प्रकृति, हालांकि नए वर्क-फ्रॉम-होम मॉडल को देखते हुए, मौलिक रूप से भिन्न होगी।
उन्होंने कहा, 'साइबर सुरक्षा पेशेवरों के काम में भी थोड़ा बदलाव होगा। उदाहरण के लिए जिन लोगों को एंडपॉइंट डिटेक्शन, रिसपॉन्स और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का अधिक ज्ञान होगा, उनकी मांग अधिक होगी।' सुरक्षा के मामले में एंडपॉइंट का मतलब कॉरपोरेट नेटवर्क के रिमोट डिवाइस से होता है, जैसे लैपटॉप या अन्य वायरलेस और मोबाइल उपकरण। रामकृष्णन ने कहा, 'इससे पहले, एंडपॉइंट सुरक्षा एंटीवायरस या एंटी-मैलवेयर समाधानों तक सीमित थी। लेकिन इनकी न तो निगरानी होती है और न ही खतरे का विश्लेषण। अब विभिन्न घरों में ये एंडपॉइंट हैं, इसलिए निरंतर निगरानी करनी होगी।'
विशेषज्ञ स्टाफिंग कंपनी एक्सफीनो के सह-संस्थापक कमल करंथ ने कहा, कंपनियां पहले इस तरह के पदों पर भर्ती से दूर रहती थीं, लेकिन साइबर हमलों के बढ़ते मामलों के बाद उनमें थोड़ा बदलाव आया है। उन्होंने कहा,'साइबर सुरक्षा पेशेवरों की भर्ती को लॉकडाउन के बाद सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी जाएगी।' कुछ सेवा प्रदाताओं ने पहले से ही वर्क-फ्रॉम-होम के मॉडल को पूरा करने के लिए अपने सुरक्षा ढांचे को उन्नत किया है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के सीईओ राजेश गोपीनाथन ने कहा, 'हमने अपनी साइबर सुरक्षा का पॉस्चर, और हमारे सभी प्रोजेक्ट मैनेजमेंट प्रणालियों को फिर से निर्धारित किया है ताकि उचित कार्य आवंटन, कार्य निगरानी सुनिश्चित हो सके।'
इंफोसिस के सी.ई.ओ. साहिल पारिख ने कहा, 'जिस चीज के बारे में हम अधिक चौकस होंगे वह है सुरक्षा। हम पूरी तरह से स्पष्ट होना चाहते हैं कि हम जो कुछ भी करते हैं वह साइबर सुरक्षा को ध्यान में रखता है और हम वहां किसी भी परेशानी में नहीं पड़ते हैं। कॉग्निजेंट पर रैंसमवेयर हमले से इस साल उसके राजस्व में 50-70 मिलियन डॉलर का प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। और इससे सुरक्षा के बुनियादी ढांचे की आवश्यकता को लेकर जागरूकता भी बढ़ गई है।'
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