इंजीनियरिंग स्टूडेंट को मिलेगा 100 फीसदी कैंपस प्लेसमेंट, सरकार करने जा रही ये बदलाव
नई दिल्ली। इंजीनयरिंग कॉलेजों में छात्र-छात्राओं को 100 फीसदी कैंपस प्लेसमेंट मिले, इसके लिए केंद्र सरकार कई कदम उठाने जा रही है। सरकार सभी परंपरात कोर्स को रिडिजाइन करने जा रही है। इसके लिए केंद्र ने वर्किंग ग्रुप गठित किया है।
ग्रुप में एपल, गूगल, एसोचैम, आईआईटी के प्रतिनिधि शामिल
सरकार ने प्लेसमेंट बढ़ाने के लिए वर्किंग ग्रुप गठित किया है, जो कंप्यूटर साइंस, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक, केमिकल और सिविल इंजीनियरिंग कोर्स को नए सिरे से तैयार करेगा। इस ग्रुप में एपल, गूगल, एसोचैम, नैसकॉम, आईआईटी के प्रतिनिधि शामिल हैं। वर्किंग ग्रुप की पहली बैठक 5 अगस्त को होगी। ग्रुप को परंपरांगत कोर्स समेत अन्य इंजीनियरिंग कोर्स को रिडिजाइन करने की संभावना पर पहली रिपोर्ट देने के लिए एक महीने का समय दिया है।
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2018-19 में 52 फीसदी पहुंचा प्लेसमेंट
सरकार के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, इंजीनियरिंग में रोजगार बढ़ाने को अखिल भारतीय तकनीकी परिषद और आईआईटी ने पाठ्यक्रम, ट्रेनिंग समेत मार्केट डिमांड के आधार पर कोर्स को डिजाइन किया था। इससे 2018-19 के सत्र में कैंपस प्लेसमेंट पिछले सत्र के मुकाबले सात फीसदी की बढ़कर 52 फीसदी पर पहुंच गया था। इसके बावजूद ये नाकाफी ही रहा है। परंपरागत कोर्सों में युवाओं के लिए रोजगार के मौकों को बढ़ाने को इन्हें फिर से डिजाइन किया जा रहा है।
आधुनिक तकनीक को जोड़ा जाएगा
परंपरागत कोर्स को रिडिजाइन करने के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, इंटरनेट, क्लाउंड कंप्यूटिंग, एंबोडिड एसडब्ल्यू, डाटा एनालिस्ट, रोबोटिक साइंस, मार्केटिंग, मोबोलिटी जैसे कोर एरिया भी जोड़े जाएंगे। साधारण इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बजाय आधुनिक तकनीक को शामिल किया जाएगा। बता दें, आईआईटी की कमेटी ने 2017 में केंद्र सरकार को परंपरागत रोजगार मुहैया ना करने वाले कोर्स को खत्म कर इन कोर्स की सीट दूसरे कोर्स में शिफ्ट करने की सिफारिश की थी।
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