NSUI ने किया फाइनल ईयर की परीक्षा लिए जाने का विरोध, कहा- छात्रों की जिंदगी खतरे में डाल रही सरकार
नई दिल्ली। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) ने केंद्र सरकार के फाइनल ईयर की परीक्षा लिए जाने के फैसले का विरोध किया है। संगठन का कहना है कि इस फैसले से छात्रों का स्वास्थ्य खतरे में आ सकता है। बता दें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने विश्वविद्यालयों/संस्थानों द्वारा टर्मिनल सेमेस्टर/अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने को लेकर संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं। जिसमें कहा गया है कि परीक्षाएं ऑफलाइन/ऑनलाइन/ब्लेंडेड (ऑनलाइन+ऑफलाइन) मोड में सितंबर 2020 तक पूरी करानी होंगी।
एनएसयूआई की रुचि गुप्ता ने कहा, 'यह फैसला बिना किसी लाभ के नासमझ अनिश्चितता को जन्म देगा। अगर आईआईटी बॉम्बे फाइनल ईयर की परीक्षा रद्द कर सकता है और पिछले असाइमेंट पर आगे बढ़ा सकता है तो बाकी विश्वविद्यालय क्यों नहीं? शिक्षा परीक्षा से कहीं अधिक है और यह संकीर्ण सोच छात्र स्वास्थ्य को खतरे में डालेगी।' इसे लेकर संगठन ने आधिकारिक बयान भी जारी किया है।
जिसमें कहा गया है, 'ये बेहद दुख की बात है कि विश्वविद्यालय परीक्षा में कितने अंक आते हैं, इसे अधिक अहमियत देते हैं। ये एक गलत धारणा है कि अगर फाइनल ईयर की परीक्षा नहीं होती हैं तो डिग्री की अहमियत खत्म हो जाएगी। ज्यादातर अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में फाइनल सेमेस्टर छह सेमेस्टर में से एक मात्र सेमेस्टर ही होता है। ऐसे में इंटरनल असेसमेंट या फिर पिछले असाइमेंट के आधार पर रिजल्ट हासिल किया जा सकता है।'
इसके साथ ही संगठन ने ऑफलाइन परीक्षा को लेकर कहा है कि छात्रों को बिना किसी स्टडी मटिरियल के कोरोना वायरस महामारी के कारण जल्दबाजी में अपने घर लौटना पड़ा है। बेशक परीक्षा केंद्रों पर सोशल डिस्टैंसिंग जैसे नियमों का पालन किया जाता है लेकिन फिर भी अपने घरों से लेकर विश्वविद्यालय तक रास्ते में छात्रों और उनके परिवारों के लिए बड़ा खतरा है। एनएसयूआई का ये भी कहना है कि अगर परीक्षा ऑनलाइन भी ली जाती है तो भी ये ठीक नहीं होगा क्योंकि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले छात्रों के पास कंप्यूटर और इंटरनेट की सुविधा होना मुश्किल है।
आपको बता दें फाइनल ईयर की परीक्षाओं का अधिकतर छात्र और उनके अभिभावक भी विरोध कर रहे हैं। सरकार के फाइनल ईयर की परीक्षा लिए जाने के फैसले के बाद से ट्विटर पर #Cancel_Exam2020 ट्रेंड कर रहा है। जिसपर सभी परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। इनका कहना है कि देश में कोरोना वायरस के मामले अब भी बढ़ रहे हैं। ऐसे में अगर छात्र इस वायरस से संक्रमित हो जाते हैं तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। वहीं अभिभावकों का कहना है कि उनके लिए अपने बच्चों की डिग्री से ज्यादा अहमियत उनकी जिंदगी की है।
This decision will lead to mindless extended uncertainty for no discernable benefit. If IIT Bombay can cancel final year exams and extrapolate from previous assessments, why can't other univs? Education much more than exams and this narrow-minded view will endanger student health https://t.co/gwquWGb9uC
— Ruchi Gupta (@guptar) July 6, 2020
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