Fact Check: सोशल मीडिया पर नैनीताल की फेक फोटो शेयर कर फैलाई जा रही नफरत
नई दिल्ली, 23 मई: देश में कई मंदिरों और मस्जिदों को लेकर विवाद जारी है। इस बीच बहुत से लोग सोशल मीडिया के जरिए नफरत फैला रहे हैं। अब उत्तराखंड के हिल स्टेशन नैनीताल को लेकर फेसबुक-ट्विटर पर एक गलत दावा किया जा रहा। हाल ही के दिनों में वहां पर सांप्रदायिक तनाव का एक मामला देखने को मिला था।

सोशल मीडिया पर एक कोलाज शेयर किया गया है, जिसमें एक फोटो के ऊपर "नैनीताल 2010" लिखा है। इस फोटो में खाली रोड पर कुछ लोग चलते दिख रहे हैं, जबकि दूसरी फोटो में "नैनीताल 2022" लिखा है। इस फोटो में सैकड़ों मुस्लिम सड़कों पर नमाज अदा कर रहे। इस फोटो को बहुत से लोगों ने शेयर किया है। साथ ही कैप्शन लिखा कि 'हम दो हमारे दो' से हिंदू परिवारों का ब्रेनवॉश किया जाता है। इससे परिवार प्रणाली कमजोर होती है। दिन-ब-दिन हम उनसे हारते जा रहे हैं। ये कैप्शन पूरी तरह से मुस्लिम समुदाय की ओर इशारा कर रहा था।

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लोग भी बिना सच्चाई जाने इस फोटो को तेजी से शेयर कर रहे हैं। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक ये फोटो नैनीताल की नहीं है, बल्कि बांग्लादेश की है। जांच में पता चला कि खाली सड़क की फोटो 'इंडियन हॉलिडे' नाम की एक वेबसाइट ली गई थी। उसमें 'अलका' और 'डोमिनोज' के बोर्ड दिख रहे, जिससे पता चल गया कि पहली तस्वीर नैनीताल की ही है। वहीं जब दूसरी फोटो की पड़ताल की गई तो पता चला कि वो 24 जनवरी, 2018 की है। उस दौरान बांग्लादेश में एक कार्यक्रम हुआ था उसी में ये भीड़ इकट्ठा हुई थी। ऐसे में साफ है कि सोशल मीडिया पर फेक फोटो शेयर कर नफरत फैलाई जा रही है।

Fact Check
दावा
नैनीताल में मुस्लिम जानबूझकर बढ़ा रहे आबादी।
नतीजा
ये दावा नफरत फैलाने के लिए किया गया।