क्या वाकई बच्चों के लिए सबसे अधिक खतरनाक होगी कोरोना की तीसरी लहर? जानिए दावे की सच्चाई
नई दिल्ली, जून 16। कोरोना की दूसरी लहर के खत्म होने से पहले ही इस महामारी के तीसरी लहर की आशंका जाहिर कर दी गई थी। केंद्र से लेकर राज्य सरकारें भी तीसरी लहर के मद्देनजर अपनी तैयारियों में जुट गई हैं। इस बीच सबके अंदर यही डर है कि तीसरी लहर में बच्चों पर सबसे अधिक खतरा है। सारी तैयारियां भी इसी दावे के ईर्द गिर्द की जा रही हैं। ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी है कि ये दावें कितने सच्चे हैं कि व्यस्कों और बुजुर्गों के मुताबिक बच्चों को तीसरी लहर अधिक प्रभावित करेगी।
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तीसरी लहर में बच्चों पर खतरा?
कोरोना के पहली लहर ने जहां बुजुर्गों को अधिक प्रभाव किया, तो वहीं दूसरी लहर में युवाओं पर अधिक मार पड़ी। अब तीसरी लहर का बच्चों पर खतरा बताया जा रहा है। लेकिन, ऐसे कोई पर्याप्त साक्ष्य नहीं है जिससे इसकी पुष्टि हो कि आगामी कोरोना की तीसरी लहर में बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होंगे।
लैंसेट COVID-19 कमीशन इंडिया टास्क फोर्स की स्टडी
इस संबंध में लैंसेट COVID-19 कमीशन इंडिया टास्क फोर्स ने भारत में 'बाल चिकित्सा COVID-19' के मुद्दे की जांच कर एक रिपोर्ट तैयार की है। इस कमीशन में देश के प्रमुख बाल रोग विशेषज्ञों के एक विशेषज्ञ समूह ने काम किया है। रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि भारत में बच्चों में संक्रमण के लक्षण विश्व स्तर पर तुलनीय प्रतीत होते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 'कोविड -19 से संक्रमित अधिकांश बच्चों में कोई लक्षण देखने को नहीं मिला है। ज्यादातार बच्चों में हल्के संक्रमण के लक्षण प्रमुख रूप से देखे गए हैं। अधिकांश बच्चों में श्वसन संबंधी लक्षणों के साथ बुखार है, और गैस्ट्रोइंटेस्टिनल संबंधी लक्षणों (जैसे दस्त, उल्टी, पेट में दर्द) मौजूद होते हैं, जो कि व्यस्कों में असामान्य है।' रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़े उम्र के बच्चों में लक्षण मिलने की अधिक संभावना और बीमारी की गंभीरता अधिक होती है।
बच्चों पर संभावित खतरे के कोई ठोस सबूत नहीं
इसके साथ ही यह भी देखा गया है कि बहुत कम बच्चों को कोरोना लक्षणों के कारण अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी है। और बच्चों में कोरोना से मृत्युदर भी काफी कम रहा है। ये निष्कर्ष मार्च 2020 से अप्रैल 2021 के बीच अलग-अलग अवधि में प्राप्त आकंड़ों के आधार पर निकाला गया है। उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर, यह सुझाव दिया गया है कि 'इसके कोई ठोस सबूत नहीं है कि अनुमानित तीसरी लहर में COVID-19 संक्रमण के कारण बच्चे अधिक प्रभावित होंगे या उनमें बीमारी की गंभीरता अधिक होगी। अध्ययनों से यह भी संकेत मिलता है कि बच्चों में यह मामूली बीमारी है और वयस्कों की तुलना में रोग का निदान अधिक और मृत्यु दर कम है।'
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Fact Check
दावा
Third wave of COVID-19 in India will affect children more
नतीजा
No evidence to show children will be affected more by third wave of COVID-19