सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे संदेश पर रतन टाटा बोले- 'ये भी मैंने नहीं कहा है'
नई दिल्ली। सोशल मीडिया के इस दौर में फेक खबरों की पहचान करना एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। अलग-अलग सोशल मीडिया साइट पर लोग अफवाह खबरों को साझा करते हैं, जिसके चलते लोगों में भ्रम पैदा होता है। सरकार लगातार फर्जी खबरों का पर्दाफाश करने की कोशिश कर रही है। इसके लिए बकायदा एक अलग से सोशल मीडिया पर अभियान शुरू किया गया है। तमाम बड़ी-बड़ी हस्तियां भी फर्जी खबरों को रोकने की कोशिशों में जुटी हैं। उद्योगपति रतन टाटा ने भी इसी तरह की एक फर्जी खबर का सच लोगों के सामने रखा है।
पेपर की कटिंग को बताया फर्जी
दरअसल रतन टाटा के नाम पर एक एक ट्वीट को पेपर कटिंग के तौर पर साझा किया जा रहा है। जिसकी सफाई देने के लिए खुद रतन टाटा आगे आए हैं। इस ट्वीट में दावा किया गया था कि रतन टाटा ने संदेश दिया है कि 2020 जीवित रहने का साल है, लाभ हानि की चिंता ना करें। इस कटिंग पर रतन टाटा ने सफाई देते हुए कहा कि मैं इससे भी चिंतित हूं, मैंने ये नहीं कहा है। जब भी फेक खबरें सामने आएंगी, मैं कोशिश करूंगा कि उसका सच सामने ला सकूं। लेकिन मैं आप लोगों से कहना चाहूंगा कि आप खबरों के तथ्यों की पुष्टि करें। किसी भी संदेश के साथ मेरी तस्वीर इस बात की गारंटी नहीं है कि मैंने वो बात कही है, यह समस्या कई लोग झेल रहे हैं।
|
पहले भी दी सफाई
बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब रतन टाटा के नाम पर गलत संदेश लोगों के नाम पर साझा किया जा रहा है, जबकि वास्तविकता में रतन टाटा ने यह कहा नहीं। इससे पहले भी एक ट्वीट के जरिए रतन टाटा ने इसी तरह के संदेश पर सफाई दी थी और कहा था कि ये मैंने नहीं कहा है। उस वक्त रतन टाटा ने अपील की थी कि मैं आपसे कहना चाहता हूं कि व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस तरह के संदेश की पुष्टि कर लें। मैं कुछ भी कहूंगा उसे अपने आधिकारिक चैनल पर कहूंगा, उम्मीद है कि आप सुरक्षित हैं और अपना खयाल रख रहे हैं।
|
क्या कहा गया है वायरल मैसेज में?
रतन टाटा के हवाले से वायरल इस फेक न्यूज में लिखा गया है- आर्थिक मामलों के जानकार कह रहे हैं कि कोरोना महामारी की वजह से अर्थव्यस्था तहस-नहस हो जाएगी। मैं इन विशेषज्ञों की बात को नकार नहीं रहा हूं। मैं अपनी ओर से सिर्फ यह कहना चाहूंगा कि इन विशेषज्ञों को मानवीय प्रेरणा और जुनून सेकिए गए प्रयासों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। इंसान ने कई बार नामुमकिन को मुमकिन किया है। अगर विशेषज्ञों पर विश्वास करते तो दूसरे विश्व युद्ध में पूरी तरह बर्बाद हो चुके जापान का कोई भविष्य नहीं होता। हम सबने देखा कि कैसे सिर्फ तीन दशक में जापान ने अमेरिका को भी पानी पिला दिया था। वहीं इजरायल का उदाहरण हमारे सामने है। इस सबसे हमें सीखना चाहिए।