Fact Check: क्या हेल्थ आईडी के पंजीकरण के लिए सरकार ने मांगा निजी डाटा, जानिए सच्चाई
नई दिल्ली। एक मीडिया पोर्टल पर ये दावा किया गया है कि सरकार ने हेल्थ आईडी के पंजीकरण के लिए निजी जानकारी मांगी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय लोगों के पास हेल्थ डाटा पॉलिसी की समीक्षा के लिए केवल एक हफ्ता बचा है और केंद्र द्वारा ऐसा किया जाना अलोकतांत्रिक हैं। इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इस योजना के तहत लोगों की मेडिकल, फाइनेंस, आनुवांशिकी, जाति, धर्म और राजनीतिक विश्वास से संबंधित जानकारी एकत्रित की जाएगी। जब हमने इसकी पड़ताल की तो पता चला कि ये रिपोर्ट एकदम फर्जी है।
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पीआईबी ने भी इस रिपोर्ट को फर्जी बताया है। पीआईबी का कहना है कि ये दावा झूठा है और सरकार ने हेल्थ आईडी पंजीकरण के लिए ऐसी कोई जानकारी नहीं मांगी है। आपको बता दें 15 अगस्त के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन' (National Digital Health Mission) की घोषणा की थी। उन्होंने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन लॉन्च किया था और कहा था कि ये भारत के हेल्थ सेक्टर में नई क्रांति लेकर आएगा। प्रधानमंत्री ने कहा था कि इस मिशन के तहत तकनीक के माध्यम से लोगों की परेशानियों को कम किया जाएगा।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा था कि अब सभी भारतीयों को डिजिटल हेल्थ आईडी मिलेंगे। आपके हर टेस्ट, हर बीमारी, आपको किस डॉक्टर ने कौन सी दवा दी, कब दी, आपकी रिपोर्ट्स क्या थीं, ये सारी जानकारी इसी एक हेल्थ आईडी में समाहित होंगी। नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन के माध्यम से लोगों को तमाम दिक्कतों से मुक्ति मिलेगी। ये मिशन आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत आता है। जिसके तहत हर मरीज को एक आईडी कार्ड दिया जाएगा।
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Fact Check
दावा
सरकार ने हेल्थ आईडी के लिए मांगी निजी जानकारी
नतीजा
सरकार ने हेल्थ आईडी के लिए निजी जानकारी नहीं मांगी