क्या Coronavirus के मरीज को ठीक कर देती है एस्पिरिन नाम की दवा, जानिए इस दावे की सच्चाई
नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस के मामले बेशक पहले से कम आ रहे हैं लेकिन ये संख्या अब भी ज्यादा ही है। इस बीच सोशल मीडिया पर इस बीमारी के इलाज के लिए तरह तरह से उपाय बताए जा रहे हैं। इनमें से कई उपाय तो बिल्कुल फर्जी होते हैं। अब व्हॉट्सएप पर एक मैसेज काफी फॉरवर्ड किया जा रहा है। जिसमें कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस एक बैक्टीरिया है और इसे एस्पिरिन नाम की दवा से ठीक किया जा सकता है। इस पोस्ट में ये भी कहा जा रहा है कि ये कोई वायरस नहीं बल्कि बैक्टीरिया है, जिससे मौत तक हो सकती है।
वायरल मैसेज में कहा जा रहा है कि इस संक्रमण से रक्त के थक्कों का निर्माण होता है और मरीज की मौत हो जाती है। इसमें ये भी कहा जा रहा है कि जर्मनी ने कोविड-19 को हरा दिया है। और इससे निपटने का तरीका एंटीबायोटिक्स लेना ही है। जिसमें सबसे पहले एस्पिरिन लेनी होती है। हमने इस मैसेज की पड़ताल की तो पता चला कि ये बिल्कुल फर्जी मैसेज है। सबसे पहली बात तो ये कि कोविड-19 एक वायरस है। इसके साथ ही इस बीमारी का अब तक कोई इलाज नहीं मिला है। कई कंपनियां अब भी वैक्सीन की ट्रायल स्टेज पर हैं। कई कंपनियों का तो ये भी कहना है कि कोरोना की वैक्सीन या तो 2020 के अंत में या फिर 2021 की शुरुआत में ही आ सकती है।
हालांकि एनेस्थीसिया और एनाल्जेसिया जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि एस्पिरिन की कम खुराक लेने से संभवतः कोरोना वायरस संक्रमण में लाभ मिल सकता है। अध्ययन में ये भी कहा गया है कि जिन्हें इस दौरान एस्पिरिन दी जाए, उनकी आईसीयू में भर्ती होने की संभावना 43 फीसदी तक कम हो जाती है, मकैनिकल वेंटिलेटर पर जाने की संभावना 44 फीसदी कम हो जाती है और मौत की संभावना 47 फीसदी कम हो जाती है। हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि इस अध्ययन की विभिन्न सीमाएं भी हैं। इसलिए इनपर पूरी तरह भरोसा कर लेना कारगर साबित नहीं होगा।
Recommended Video
Coronavirus: दिल्ली में 60 फीसदी वेंटिलेटर बेड पर मरीज, लेकिन रिकवरी रेट बढ़ने से मुश्किल हुई आसान
Fact Check
दावा
कोरोना वायरस बैक्टीरिया है और इसे एस्पिरिन से ठीक किया जा सकता है।
नतीजा
कोरोना वायरस एक वायरस है, जिसकी अभी तक कोई दवा उपलब्ध नहीं है।