Covid-19: क्या सूंघने की शक्ति कम होना और स्वादहीनता संक्रमण के संकेत हैं ?
नई दिल्ली- ब्रिटेन के कुछ कान, नाक और गला रोग विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के लक्षणों को लेकर बहुत बड़ा दावा किया है। इन डॉक्टरों ने दुनिया भर के डॉक्टरों और कुछ संक्रमित मरीजों से बातचीत के आधार पर यह नतीजा निकाला है कि जो लोग इससे संक्रमित होते हैं, वह न तो किसी चीज को सूंघकर ही सही से पहचान पाते हैं और न ही उनमें चखने की ही क्षमता बच जाती है। एक अमेरिकी मेडिकल वेबसाइट ने भी इसी तरह की बात कही है। सबसे बड़ी बात ये है कि दावों के मुताबिक जिन लोगों में पहले कोरोना के कोई लक्षण नहीं भी दिखाई देते और अगर वे संक्रमित हो चुके होते हैं, तो उनमें भी यह प्राकृतिक ज्ञान का अभाव महसूस होने लगता है।
सूंघने की शक्ति घटना और स्वादहीनता हैं संकेत ?
दुनिया भर में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की तादाद 3 लाख से काफी ऊपर जा चुकी है। अब मरीजों के तीमारदारों, डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों से मरीजों के पास रहकर जो उनके बारे में जानकारियां सामने आ रही हैं, उससे कोविड-19 से संक्रमित लोगों के बारे में कई तरह के संकेत मिल रहे हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक संक्रमित मां अपनी बच्ची के भरे हुए डायपर की बदबू भी नहीं महसूस कर पा रही थी। इसी तरह एक कूक जो रेस्टोरेंट के किसी डिश को सिर्फ सूंघकर बता सकता है कि उसकी रेसिपी में क्या है, वह उसे चखकर भी उसके स्वाद का पता नहीं लगा पाता है। इसी तरह कोई शैंपू की खुशबू और कूड़े की बदबू में भी फर्क नहीं कर पाता। ये सारे बहुत ही गंभीर संकेत हो सकते हैं कि संबंधित व्यक्ति को निगरानी में रहने और क्वारंटाइन होने की जरूरत है।
सावधानी ही बचाव है
कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक एनोसमिया (सूंघने की शक्ति का नाश) और एगेउसिया (स्वाद पहचानने की शक्ति का नाश) कोविड-19 से संक्रमित लोगों का एक अजीबोगरीब संकेत हो सकता है। शुक्रवार को ब्रिटेन के कान, नाक और गले के डॉक्टरों ने दुनिया भर में अपने सहयोगियों से मिली रिपोर्ट के आधार पर उन व्यस्कों को फोन किया जिनमें सूंघने की क्षमता खत्म होने की शिकायतें मिली थीं, और उनसे कहा कि बाकी लक्षण नजर नहीं भी आ रहे हों तो भी वे सात दिनों के लिए वे खुद को आइसोलेट कर लें, ताकि संक्रमण के प्रकोप को कम किया जा सके। हालांकि, इस संबंध में जो आंकड़े सामने आए हैं, वे बहुत ज्यादा तो नहीं हैं, लेकिन डॉक्टरों को लग रहा है कि जोखिम से ज्यादा अच्छा है कि लोगों को सावधान कर दिया जाए।
स्वास्थ्यकर्मी इन संकेतों का ध्यान रखें
ब्रिटिश रिनोलॉजिकल सोसाइटी के प्रेसिडेंट प्रोफेसर क्लेयर हॉकिन्स कहती हैं, 'वास्तव में हम जागरुकता बढ़ना चाहते हैं कि यह इंफेक्शन के संकेत हैं और जिस किसी में लगता है कि उसकी सूंघने की शक्ति खत्म हो गई है तो उसे खुद से आसोलेशन में चले जाना चाहिए।' उनके मुताबिक, 'इससे संक्रमण को कम करने में सहायता मिलेगी।' वो और यूके के ईएनटी ग्रुप के प्रेसिडेंट निर्मल कुमार ने इस संबंध में एक साझा बयान जारी किया है। इसमें इन्होंने उन स्वास्थ्यकर्मियों को आगाह किया है जो सूंघने की शक्ति गंवाने वाले मरीजों के नजदीक जाते हैं और उन्हें सुरक्षित उपकरणों के इस्तेमाल करने की सलाह दी है। यही नहीं इन्होंने ऐसे स्वास्थ्यकर्मियों को किसी मरीज पर गैर-जरूरी साइनस एंडेस्कोपी प्रक्रिया के इस्तेमाल से भी परहेज करने को कहा है।
अमेरिकी वेबसाइट ने भी किया दावा
ब्रिटेन के डॉक्टरों ने अपनी वाजिब चिंता के बारे कुछ देशों से आई रिपोर्ट्स का भी हवाला दिया है, जिससे उनकी आशंकाओं को बल मिल जाता है। इसके मुताबिक कोविड-19 के मरीजों में इस तरह के लक्षण पाए गए हैं। मसलन, साउथ कोरिया में जिन 2,000 लोगों को कोविड-19 पॉजिटिव पाया गया है उनमें से 30 फीसदी में एनोसमिया (सूंघने की शक्ति का नाश) के लक्षण मौजूद थे। सिर्फ ब्रिटिश विशेषज्ञों ने ही नहीं, अमेरिकन एकैडमी ऑफ ओटोलैरिंगोलॉजी की वेबसाइट के मुताबिक भी वास्तव में कोरोना वायरस के संक्रिमितों में एनोसमिया (सूंघने की शक्ति का नाश) के सबूत पाए जा रहे हैं।