Coronavrius: फेक है Janta Curfew पर नासा की तरफ से Whatsapp पर आया यह मैसेज
नई दिल्ली। रविवार को जनता कर्फ्यू के दौरान शाम पांच बजे लोग अपने-अपने घरों की बालकनी में आए। इन्होंने तालियों से लेकर बर्तन और घंटी तक बजाई जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपील की थी। मगर इसके बाद व्हाट्स एप पर जो मैसेज आए उनमें अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का नाम लेकर अजब-गजब दावे किए गए। रविवार को पीएम मोदी की अपील पर सुबह सात बजे रात नौ बजे तक लोगों ने जनता कर्फ्यू का पालन किया।
यह भी पढ़े-क्या पुतिन ने सड़कों पर छोड़े हैं 800 शेर, Fact check
जनता कर्फ्यू के बाद जमकर शेयर
गुरुवार 19 मार्च को पीएम मोदी ने देशवासियों से उन तमाम लोगों का आभार जताने के लिए तालियां बजाने को कहा था, जो संकट की इस स्थिति में भी मोर्चे पर डटे हुए हैं। लोगों ने जमकर तालियां बजाई। मगर इसके बाद इस पूरे घटनाक्रम का एक फेक मैसेज व्हाट्सएप पर आने लगा। इस मैसेज में लिखा था, 'नासा सैटेलाइट वीडियोज के टेलीकास्ट में दिखाया गया है कि कोरोना वायरस भारत में कमजोर पड़ने लगा है और इसके लिए 22 मार्च को शाम पांच बजे लोगों ने जो प्रयास किए, उनका शुक्रिया।'यह पहली बार नहीं है जब ऐसा कोई मैसेज आया है। हर वर्ष दिवाली के बाद इसी तरह का एक मैसेज नासा के नाम पर आता है। इसमें दावा किया जाता है कि नासा ने दिवाली के मौके पर यह तस्वीर ली है। हर वर्ष दिवाली के बाद शेयर होने वाला यह मैसेज भी पूरी तरह से फेक साबित होता है।
क्या है सच्चाई
जनता कर्फ्यू से जुड़ा मैसेज न सिर्फ फेक था बल्कि पूरी तरह से अवैज्ञानिक भी साबित हुआ है। मैसेज में आगे लिखा था, 'ध्वनि तरंगों की वजह से जो कॉस्मिक लेवल बना उसका पता नासा के एसडी13 वेव डिटेक्टर ने भी लगाया और हाल ही में बायो-सैटेलाइट ने दिखाया है कि कोविड-19 कमजोर पड़ने लगा है।' हकीकत यह है कि नासा धरती पर आइसोलेशन के दौरान किसी भी साउंड वेव के रिकॉर्ड नहीं कर सकती है। इस तरह का कोई माध्यम भी नहीं है और वैज्ञानिक तौर पर यह कभी नहीं हो सकता।