keyboard_backspace

Corona Vaccine News:वैक्सीन पर किसी भी गलतफहमी में ना रहें, काम की इतनी बातें जरूर जान लें

Google Oneindia News

Corona Vaccine News:दुनिया के कई देशों में अलग-अलग कपंनियों की कोविड-19 वैक्सीन (covid vaccine)लगाने की प्रक्रिया जारी है। लाखों लोगों को इसकी पहली डोज लगाई जा चुकी है। भारत में भी तैयारी पूरी हो चुकी है। ड्राई रन शुरू हैं। किसी भी वक्त अपने देश में भी टीकाकरण शुरू किए जाने का ऐलान हो सकता है। ऐसे वक्त में हमें वैक्सीन को लेकर पैदा हो रही हर तरह की गलतफहमियों को दूर कर लेना जरूरी है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) भी इसको लेकर चलने वाली किसी भी तरह की अफवाहों से सतर्क रहने का आह्वान कर चुके हैं। अफवाहों को इसलिए भी बल मिला है, क्योंकि वैक्सीन लगने के बाद भी कुछ लोगों के कोविड संक्रमित होने की जानकारी सामने आई है। लेकिन, जब तक हम इसके पीछे की सारी हकीकत नहीं जानेंगे, अंधेरे में ही रहेंगे और हम भी आसानी से गलतफहमियों की शिकार बन जाएंगे।

वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी धीरे-धीरे बनती है

वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी धीरे-धीरे बनती है

अमेरिका (US) के कैलिफॉर्निया (California) में एक पुरुष नर्स को फाइजर कंपनी की वैक्सीन (Pfizer Covid vaccine )की पहली डोज 18 दिसंबर को लगाई गई। 6 दिन बाद उस को काफी ठंड महसूस होने लगी, मांस-पेशियों में दर्द शुरू हो गया और उसे काफी थकान महसूस होने लगी। 26 दिसंबर को उसका कोविड-19 (Covid-19) टेस्ट पॉजिटिव आया। चिंता होनी लाजिमी थी कि वैक्सीन लगने के 8 दिन बाद वह शख्स कोरोना संक्रमित क्यों हो गया? लेकिन, विशेषज्ञों ने पाया है कि यह उस नर्स का दुर्भाग्य था, जो उसके साथ ऐसा हुआ। आशंका है कि वह उसी दिन के आसपास कोविड-19 से संक्रमित हुआ था, जिस दिन उसे इसके टीके लगाए गए थे। यही वजह ये है कि उसमें 6 दिन बाद लक्षण (symptoms) दिखने शुरू हुए। यह गलतफहमी दूर कर लीजिए कि वैक्सीन लगने के साथ ही आप इससे सुरक्षित हो जाएंगे। वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी धीरे-धीरे बनती है (Immunity Builds Slowly) और इसमें समय लगता है। इसमें कम से कम दो से तीन हफ्तों तक का वक्त लग सकता है।

Recommended Video

Oxford Corona Vaccine को India के लिए Expert Panel की तरफ से हरी झंडी | Covidshield | वनइंडिया हिंदी
सिर्फ एक शॉट लेने के बाद आप कितने सुरक्षित होंगे?

सिर्फ एक शॉट लेने के बाद आप कितने सुरक्षित होंगे?

सबको वैक्सीन की दो डोज लगाई जानी हैं। ऐसे में एक डोज लगने के बाद हमें इस वायरस से कितनी सुरक्षा मिलेगी, यह सवाल भी लोगों के मन में पैदा हो रहे हैं। इसे समझने के लिए यूनाइ़टेड किंगडम (UK) के टीकाकरण अभियान में हुए बदलाव को समझना पड़ेगा। शुरू में वहां योजना थी कि पहले ज्यादा खतरे वाले सभी लोगों (high-risk people)को वैक्सीन के दो डोज लगाने के बाद ही दूसरे लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी। दो डोज के बीच में 3 हफ्ते का अंतर रखा जाना था। लेकिन, आने वाले सोमवार से वहां ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन (Oxford vaccine) लगाई जाएगी और बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 'अब वैक्सीन की पहली डोज ज्यादा से ज्यादा लोगों को लगाने की रणनीति बनाई गई है और दूसरी डोज 12 हफ्ते के अंदर लगाए जाने की योजना बनाई गई है।' ऐसा इसलिए हुआ है, क्योंकि पहली डोज भी काफी प्रभावी है, लेकिन उसका असर तभी होगा जब उसे असर दिखान के लिए थोड़ा वक्त मिलेगा। भारत के लिए यह जानकारी बहुत मायने रखती है, क्योंकि ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन (Oxford vaccine) को अपने देश में भी मंजूरी मिलनी लगभग तय है।

दो डोज में ज्यादा देर होना अच्छा है

दो डोज में ज्यादा देर होना अच्छा है

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, 'अप्रकाशित आंकड़े बताते हैं कि वैक्सीन का पहली और दूसरी डोज में अंतर होने से उसकी कुल प्रभावशीलता बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। 'ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन (Oxford vaccine) के बारे में पहले ही दावा किया जा चुका था कि पहली डोज के बाद जब वैक्सीन दोबारा लगाई जाती है तो वह 30% ज्यादा कारगर हो जाती है, लेकिन अब यह स्पष्ट हो चुका है कि इसके लिए दोनों डोज में फासला बहुत अच्छा है। एक न्यूज एजेंसी ने ब्रिटेन के कोविड एडवाइजरी ग्रुप के चेयर मुनीर पीरमोहम्मद (Munir Pirmohamed) के हवाले से बताया है कि 'हमें लगता है कि बेहतर परिणाम के लिए सिर्फ दो डोज की बजाय उन दोनों डोज में अंतर रखना भी बहुत लाभदायक है।'

दो डोज में कितना अंतर हो सकता है फायदेमंद?

दो डोज में कितना अंतर हो सकता है फायदेमंद?

यूके(UK) के ही कोविड वैक्सीन चेयर वी शेन लिम (Wei Shen Lim) ने कहा है, '21 दिनों बाद अकेले पहली डोज ही 70% कारगर होती है। लेकिन, जब 1 महीने की बजाय, 3 महीने बाद (12 हफ्ते बाद) दूसरी डोज दी जाती है तो कुल प्रभावशीलता 80% तक बढ़ जाती है।' यह स्थिति लोगों और सरकारों दोनों के लिए अच्छी है। इसका फायदा ये है कि कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लगाई जा सकती है। भारत के लिए भी यही रणनीति कारगार साबित हो सकती है।

क्या एक डोज ही लेने से काम चल सकता है?

क्या एक डोज ही लेने से काम चल सकता है?

अब सवाल उठ सकता है कि जब पहली डोज ही ज्यादा कारगर है तो शायद दूसरी डोज नहीं भी लगवाएं तो काम चल सकता है। लेकिन, ऐसा नहीं है। इन वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल में यह बात सामने आ ही चुकी है कि पहली ही डोज हमें इस वायरस के खिलाफ काफी सुरक्षा मिल जाती है। मसलन, वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 'फाइजर-बायोएनटेक (Pfizer-BioNTech) की पहली डोज 82% और मॉडर्ना वैक्सीन (Moderna's vaccine) की पहली डोज दो हफ्ते के बाद 92% प्रभावी है।' ऐसे में दूसरे डोज की जरूरत के बारे में येल यूनिवर्सिटी (Yale University) के इम्यूनोलॉजी एक्सवर्ट(immunology exper) एकिको इवासाकी (Akiko Iwasaki) कहते हैं, दूसरी डोज आपकी इम्यूनिटी को लंबे समय तक कायम रखती है। वो कहते हैं, 'मुझे अब भी यह कहने में संकोच है कि एक खुराक हमेशा के लिए पर्याप्त है।'

इसे भी पढ़ें- जानिए कैसे कार्गो विमान, रेल माध्यम से देशभर में पहुंचाई जाएगी कोरोना वैक्सीनइसे भी पढ़ें- जानिए कैसे कार्गो विमान, रेल माध्यम से देशभर में पहुंचाई जाएगी कोरोना वैक्सीन

Comments
English summary
Corona Vaccine News:Do not be in any misunderstanding on the vaccines, you must know these things about it
For Daily Alerts
Related News
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X