क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

यूपी के गांव में भूखमरी से संघर्ष

By उत्कर्ष कुमार सिनहा
Google Oneindia News

Women storing food grains
पानकुंवर, जिला महोबा के प्रखण्ड चरखारी के ग्राम चन्दौली, में निवास करती हैं, इस पूरे क्षेत्र का सूखा से एक गहरा नाता है। पिछले पाँच सालों से लगातार सूखा पड़ने से खाद्यान्न का भीषण संकट है। लोग अपनी भूख मिटाने व आजीविका की तलाष में बड़े शहरों की ओर पलायन करने लगे हैं। आने वाले संकट को भांप कर कुछ चतुर सम्पन्न लोग आनाज का पहले से ही स्टाक कर लेते हैं और संकट के समय मजबूर लोग महाजन से डेवढे़ पर अनाज लेते है। एक-दो माह के अंतर मे 20 किलो लेने पर 10 किलो डेवढ़ा सहित 30 किलो जमा करना पड़ता है। जिससे अधिकतर लोग इन महाजनों के कर्ज में डूबे रहते हैं और महाजन के अनाज मे बढ़ोत्तरी होती हैं।

खरीफ की फसल चौपट, गांव बेहाल

पिछले साल इस इलाके में खरीफ की फसल फिर से चौपट हो गई किन्तु रवी की फसल कुछ ठीक-ठाक हो गई। जिससे उत्साहित होकर चन्दौली के जागरुक ग्रामवासियों ने क्षेत्र में कार्यरत संस्था कृति शोध संस्थान द्वारा गठित ग्राम आपदा कोष की तर्ज पर आनाज बैंक बनाये जाने का प्रस्ताव रखा। महिला संगठन की महिलाओं ने मासिक बैठक में ऐसी व्यवस्था तय की जिससे संकट के समय लोंगों को महाजन के यहाँ न जाना पड़े, सभी को यह बात जम गई और एक रास्ता मिल गया कि इस तरह से महाजन से छुटकारा पाया जा सकता है। महिलाओ ने सभी के साथ बैठक करके गाँव मे ही अनाज बैक खोलने का प्रस्ताव रक्खा, सभी महिलाओ ने इस बात पर सहमत होकर अनाज बैंक में गेंहूं जमा करने पर सहमति जताई। इस अनाज बैंक में प्रारम्भ में 05 महिलाएं शामिल हुई। सभी सदस्यो से कुल 100 किलो अनाज इकट्ठा हुआ। सदस्यों ने उसी समय सर्वसम्मति से गेंहू रखने कि जिम्मेदारी पानकुंवर को दे दी ताकि किसी परिवार में आकस्मिक आपदा पड़ने पर महाजन से अनाज का डेवढ़ा नही देना पड़े। पानकुंवर सहित सभी महिलाओं ने संकल्प लिया है महाजन के यहाँ से छुटकरा पाके रहेंगे।

अनाज बैंक की नियमावली भी

अनाज बैंक की एक नियमावली बना ली गई है। नियमावली में परिवारों को तीन स्तर से गेंहू वितरण का लक्ष्य रखा गया है। पहले स्तर में वे लोग होंगें जो 2 से 5 एकड़ के भूस्वामी एपीएल वर्ग के हैं इनसे सवाई पर गेंहू वापस लिया जायेगा। दूसरे स्तर में 2 एकड़ से नीचे के भूस्वामी होंगें इनसे बिना कोई सवाई के गेंहू वापस लिया जायेगा। तीसरे स्तर में भूमिहीन, असहाय लोगों को रखा गया है जिनसे किसी भी तरह की वापसी नहीं ली जायेगी। गल्ला वितरण हेतु बैठक में ही सभी निर्णय लिये जाने लगे हैं। महिलाओं का प्रस्ताव है कि गल्ले पर डेवढ़ा देने के वजाय एक का सवाया लिया जायेगा। जिन परिवारों को अनाज दिया गया किसी कारणवस यदि वह अनाज वापस नही कर पा रहा है तो सभी लोग उतना ही गेंहू आपस में मिला कर जमा करेंगे।

इस प्रकार से ग्रेन बैंक में धीरे-धीरे अनाज बढ़ता जायेगा। इस कार्य के लिये प्रोत्साहन स्वरुप अन्तराष्टीय सहायता एजेन्सी एक्षन एड के सहयोग से चंदौली व सबुआ गावं में गठित दोनो आनाज बैंकों को 200 कि0ग्रा0 गल्ला व उसके रखरखाव के लिये एक लोहे की टंकी भी प्रदान की गई है ताकि उसका रखरखाव ठीक ढंग से हो सके। आनाज बैंक की सफलता को देखते हुये बैंक की सदस्य संख्या पांच से बढ़कर दस हो गई है ग्रामीण महिलाओं के स्वयं के संगठित प्रयासों से चंदौली के लोग भूखमरी से संघर्ष मे लगातार सफल हो रहे हैं।

Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X