बोल तू मीठे बोल...
अब चाहे आप वेबसाईट की बात ले लो. तरह तरह के लेख, विचार इत्यादि छपते ही रहते हैं. हम उसे पढ़ते भी है और शायद मन ही मन सराहते भी होगें पर जब बात आती है दो शब्द बोलने की तो हम पीछे हट जाते हैं और बहाना लगाते हैं.
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अब सोचने की बात तो यह है कि आखिर किसी की तारीफ करने मे हम हिचकिचाते क्यो हैं, आखिर हमारा जाता क्या है. लेकिन नही. हम लोग मौका परस्त हो गए हैं. तारीफ अगर करते भी हैं तो आमतौर पर उसकी जिससे काम निकलवाना हो. हालांकि इसमें भी अपवाद हैं. इसलिए आप बात को अपने उपर ना लेकर जाएं कि हम तो ऐसे नही है. हाँ तारीफ करने से आप को ही फायदा होगा. वो ऐसे कि जिसकी आप तारीफ करेगे जिसके लिए मीठे बोल बोलेगें वो आप पर ना सिर्फ ज्यादा ध्यान देगा बल्कि 10 लोगों के सामने आपकी भी तारीफ करेगा.
इतना ही नहीं वो खुद भी महेनत करके यह चाहेगा कि उसे फिर प्रशंसा मिले उसके लिए वो अपना काम ज्यादा लग्न से करेगा. तारीफ करने का यह मतलब भी नहीं है कि आप झूठी तारीफ करनी शुरु कर दे. जो सच्ची और अच्छी लगे उसकी तारीफ जरुर करें पर कई बार किसी को हौंसला देने के लिए या उसका मनोबल बढ़ाने के लिए झूठी तारीफ भी करनी पड़े तो भी पीछे नहीं हटें.
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अब आप घर का ही उदाहरण ले कि अगर आपने अपनी माता जी की या पत्नी की प्रशंसा कर दी कि खाना अच्छा बना है या घर बहुत साफ रखा है, तो वो यह सुन कर ना सिर्फ खुश होंगे बल्कि आपके प्रति प्रेम भी बढ़ेगा. यही बात बच्चों पर भी लागू होती है, कि आपका बच्चा, बहन या भाई कुछ अच्छा करे तो उसका उत्साह बढ़ाएं. उसका हौंसला बढ़ाएं कि आपने अच्छा किया आगे भी और अच्छा करना. ना कि उसे टोके कि यह क्या कर दिया तुझसे अच्छा तो उस बच्चे ने किया है.
किसी की तारीफ करके, किसी से दो मीठे शब्द बोल कर तो देखिए जो खुशी आपको उसके चहेरे पर देखने को मिलेगी, उसका मनोबल बढ़ेगा इसका तो आप अंदाजा भी नही लगा सकते. तो हो जाए तैयार दो मीठे शब्द बोलने के लिए. जो जादू की झप्पी से कम काम नही करेगा.