सड़को पर झगड़ती जिंदगी
मनु और उसकी पत्नी आफिस से एक साथ ही निकलते हैं. रास्ते भर दोनो गाड़ी में अपना गुस्सा, अपनी खीज निकालते हैं और चिल्ला- चिल्ला कर बाते करते हैं. घर पर बच्चों की वजह से चुप रहना पडता है. एक बार तो गाड़ी में पति- पत्नी का झगड़ा इतना बढ़ गया कि भारी रश में पत्नी ने चलती कार में दरवाजा खोल कर कूदने की कोशिश की तब पति ने बहुत गुस्से से उसका हाथ अंदर खीचा.
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2011
की
जनगणना
देगी
कई
अहम
जवाब
वहीं
एक
बार
मैंने
दिल्ली
से
हिसार
के
रास्ते
मे
मैने
देखा
कि
हमारे
आगे
एक
कार
पहले
तो
आराम
से
जा
रही
थी,
उसमे
दो
लोग
सवार
थे
फिर
पता
नही
दोनो
पति
पत्नी
में
क्या
बात
हुई
होगी
कि
पति
ने
इतनी
तेज
कार
चलाई
कि
वो
हमे
दिखनी
ही
बंद
हो
गई
पर
हाँसी
के
पास
उनकी
कार
की
पेड़
से
जबरदस्त
ट्क्कर
हुई
थी.
पुलिस
की
जीप
वहाँ
खडी
हुई
थी.
दोनों
को
बहुत
चोट
आई
थी.
ऐसा ही कुछ रेलवे स्टेशन पर भी एक बार हमें देखने को मिला. एक महिला जो कि अच्छे परिवार की लग रही थी. शायद वो अपने भाई को छोडने आई हुई थी. पहले तो वो धीरे धीरे बात करते रहे फिर आवाज तेज आनी शुरु हुई. कुछ ही देर बाद महिला रो रही थी और कह रही थी कि उसे भी साथ घर ले चलो वो अपने पति के साथ नही रहना चाहती.
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सब लोग उस महिला को देखने लगे पर वो लगातार रोती ही रही. हम अक्सर देखते हैं कि कई बार लड़ाई घर पर होती है या आफिस के लिए देरी हो रही होती है और गुस्सा वाहन पर निकाला जाता है. मसलन वाहन बहुत ही तेज चलाया जाता है. अपनी गलती होने पर भी दूसरे से झगडा किया जाता है कि मानो सारी की सारी गलती उसी दूसरे की हो.
ऐसे ना जाने कितने उदाहरण है जो सड़को पर झगड़ते मिल जाते हैं. लेकिन सोचने की बात यह है कि सड़कों पर यह झगड़ा कहां तक ठीक है .अगर घर का माहौल ठीक हो और लोग आपस में एक दूसरे को समझते हो .तो यह नौबत ही ना आए. इसलिए अगर आप भी घर से निकल रहे हैं तो जरा मुस्कुरा कर और गुस्से को घर पर छोड़ कर.