विवाह के शुभ मुहूर्त पर क्या फिर भारी पड़ेगा कोरोना का साया
कोरोना के आगे वैज्ञानिकों के अनुमान और ज्योतिषियों की भविष्यवाणी दोनों फेल हो गई हैं। डॉक्टर और विशेषज्ञों ने कहा था कि भारत में तापमान बढ़ने के साथ कोरोना ख़त्म हो सकता है। लेकिन तापमान के साथ कोरोना भी बढ़ता गया। यहाँ तक कि इस साल गर्मियों में अक्षय तृतीया समेत अन्य वैवाहिक लग्न को भी कोरोना खा गया। 26 अप्रैल को अक्षय तृतीया, मई में 1, 2, 4, 6,17,18,19 तारीख को तथा जून में 13,15 व 30 तारीख को भी शुभ मुहूर्त था। लेकिन कोरोना के कारण अप्रैल, मई, जून में करीब 85 फीसदी शादियाँ कैंसिल करनी पड़ी थीं। यानी करीब 50 हजार से भी अधिक शादियाँ अंतिम क्षणों में टालनी पड़ी। जबकि ज्योतिषियों को आभास तक न था कि इन तिथियों पर कोरोना जैसे दानव का साया है। इसके बाद भी ज्योतिषियों ने ग्रहों की चाल देख भरोसा दिलाया था कि जुलाई के बाद कोरोना का प्रकोप कम होगा। लेकिन कम होने के बजाय कोरोना बढ़ता गया। इस समय भारत, अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित देश है। चालबाज कोरोना लगातार अपना रूप बदल रहा है। उसकी चाल के आगे ग्रहों की चाल फेल है।
कोरोना परिवार के अन्य वायरस के अध्ययन के आधार पर विशेषज्ञों का अनुमान था कि तापमान के 35 डिग्री के ऊपर पहुँचते ही कोविड-19 नष्ट होने लगेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब फिर ज्योतिषियों ने दीपावली के बाद 25 नवम्बर से 12 दिसम्बर तक 17 दिन तक ग्रहों की स्थिति के आधार पर शुभ वैवाहिक मुहूर्त निकाला है। गर्मियों में टले विवाह भी इन 17 दिनों में होने हैं। लेकिन कोई यह बताने की स्थिति में नहीं है कि उस समय कोरोना की स्थिति क्या होगी। आधा अक्टूबर बीत गया, कोरोना कम तो हुआ है लेकिन पूरी तरह गया नहीं। केरल और कर्नाटक में मामले फिर बढ़ रहे हैं उसके साथ ही लोगों की चिंता बढ़ रही है।
Navratri
2020:
त्रिदेवों
की
शक्ति
से
उत्पन्न
हुईं
मां
दुर्गा,
जानिए
ये
कथा
ग्रहदशा
कितनी
भी
मजबूत
हो,
मुहूर्त
कितना
भी
शुभ
लेकिन
बताये
गए
शुभ
लग्न
में
जब
मांगलिक
कार्य
सम्पन्न
करने
में
बाधा
उत्पन्न
हो
तो
उसे
उत्तम
मुहूर्त
और
ग्रहदशा
कैसे
कहा
जा
सकता
है?
जैसे
26
अप्रैल
को
अक्षय
तृतीया
थी।
तब
एक
भी
ज्योतिषी
ने
ऐसी
कोई
भविष्यवाणी
नहीं
थी
कि
इस
बार
अक्षय
तृतीया
पर
बड़ी
बाधाएं
उत्पन्न
होंगी।
उस
दिन
कोविड
19
रुपी
दानव
ने
सभी
ग्रहों
की
चाल
बिगाड़
दी।
जबकि
शास्त्रों
के
अनुसार
अक्षय
तृतीया
को
साढ़े
तीन
अबूझ
मुहूर्त
में
से
एक
माना
जाता
है,
इसलिए
इस
तारीख
में
विवाह
के
लिए
सोचने
की
आवश्यकता
नहीं
होती
है।
भविष्य
पुराण
के
अनुसार
अक्षय
तृतीया
से
सतयुग
एवं
त्रेता
युग
की
शुरुआत
हुई।
भगवान
विष्णु
के
अवतार
भगवान
परशुराम
का
अवतरण
इसी
तिथि
में
हुआ
था।
ज्योतिषी
यह
भी
कहते
हैं
कि
जिन
मांगलिक
कार्यों
को
करने
के
लिए
कोई
शुभ
मुहूर्त
नहीं
मिल
रहा
हो
उन
कार्यों
को
भी
इस
दिन
बगैर
किसी
पंडित
को
पूछे
किया
जा
सकता
है।
लेकिन
अक्षय
तृतीया
के
दिन
पूरा
देश
कोरोना
के
चलते
लॉकडाउन
में
था।
अब
25
नवंबर
को
देवोत्थानी
एकादशी
है।
इस
हिसाब
से
12
दिसम्बर
तक
शुभ
मुहूर्त
है।
लखनऊ
में
25
नवंबर
से
बैंड-बाजे
की
धुन
सुनाई
देने
लगेगी।
गर्मियों
में
टली
शादियां
भी
इन
17
दिनों
में
होंगी।
इस
लिए
होटलों
और
मैरेज
हाल
पर
जबरदस्त
प्रेशर
है।
इसके
चलते
शहरों
में
अभी
से
बैंड
बुक
हो
चुके
हैं
और
होटल,
मैरिज
हॉल
फुल
हो
चुके
हैं।
कोविड-19 ने शादियों के कारोबार को बुरी तरह प्रभावित किया है। हालांकि, अब मैरेज इंडस्ट्री रिकवरी की ओर है। उम्मीद है कि नवम्बर-दिसम्बर में नुक्सान की पूरी नहीं तो भी काफी कुछ भरपाई हो जाएगी। वैसे तो 25 नवम्बर से 12 दिसम्बर तक हर दिन शुभ महूर्त नहीं है। नवंबर और दिसंबर में सहालग के सिर्फ नौ दिन हैं। यह 25, 27, 30 नवंबर और 1, 6 ,7 ,9, 10 व 11 दिसंबर है। लेकिन लोग कोरोना से इतना परेशान हो चुके हैं कि करीब 40 फीसदी लोग चाहते हैं कि इन 17 दिनों में किसी तरह शादी हो जाये। लेकिन इन दिनों में अब होटलों में जगह नहीं खाली है। ऐसा तब है जब कुछ शादियाँ दिन में भी होंगी। वैसे 25 नवंबर को देवोत्थान एकादशी से विवाह सीजन शुरू हो रहा है, लेकिन इस बार कोरोना का साया लोगों को डरा रहा है। वैसे अनलॉक 5 में बरातियों की संख्या शर्तों के साथ 200 तक कर दी गई है लेकिन अभी भी लोग बहुत आश्वस्त नहीं हैं। अब देखना है कि इस बार नवम्बर-दिसम्बर में ज्योतिषियों की शुभ मुहूर्त की गणना सही साबित होती है या फिर कोविड ग्रहों की चाल बिगाड़ेगा।