क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

जानिए सप्ताह का पहला दिन रविवार ही क्यों?

By Pt. Anuj K Shukla
Google Oneindia News

लखनऊ। एक वर्ष में बारह महीने होते है, महीने में चार सप्ताह होते है एवं सप्ताह में सात दिन होते है। यह जानकारी लगभग हर व्यक्ति को होती है। पर क्या आपने कभी इस पर विचार किया है कि सप्ताह में पड़ने वाले सात दिनों का क्रम रविवार से ही शुरू क्यों होता है ? रविवार के बाद सोमवार पड़ता है मंगलवार क्यों नहीं ? इन प्रश्नों का उत्तर सिर्फ और सिर्फ भारतीय ज्योतिष में ही मिल सकता है और कहीं नहीं। 'वार' शब्द का अर्थ अवसर होता है अर्थात नियमानुसार प्राप्त समय।

जानिए सप्ताह का पहला दिन 'रविवार' ही क्यों?

जानिए सप्ताह का पहला दिन 'रविवार' ही क्यों?

तद्नुसार 'वार' शब्द का प्रकृत अर्थ यह होता है कि जो अहोरात्र {सूर्योदय से आरम्भ कर 24 घण्टे अथवा 60 घटी अर्थात पुनः सूर्योदय होने तक} जिस ग्रह के लिए नियमानुसार प्राप्त होता है अर्थात जो ग्रह जिस अहोरात्र का स्वामी है उसी ग्रह के नाम से वह अहोरात्र अभिहित होता है। उदाहरणार्थ जिस अहोरात्र का स्वामी रवि है वह रविवार एवं जिस अहोरात्र का स्वामी सोम है वह सोमवार इत्यादि होगा। यह खगोल में ग्रहों की स्थिति के अनुसार नहीं है।

यह भी पढ़ें: जानिए कैसे घटती और बढ़ती है तिथियांयह भी पढ़ें: जानिए कैसे घटती और बढ़ती है तिथियां

 पूर्ण अहोरात्र

पूर्ण अहोरात्र

इस असंगति का समाधान यह है कि खगोलीय क्रम के अनुसार ग्रहों की होरायें होती है न कि पूर्ण अहोरात्र। प्रत्येक होरा ढाई घटी अर्थात 60 मिनट की होती है। इस प्रकार अहोरात्र अर्थात 24 घण्टे में 24 होरायें होती है। इस क्रम में पहली होरा अहोरात्र के स्वामी की होती है बाद मे खगोलीय क्रम के अनुसार क्रमशः निम्नवर्ती ग्रह की होरा आती है। उदाहरणार्थ यदि प्रथम होरा रवि की हुई तो उस के निम्नवर्ती ग्रहों के अनुसार शुक्र, बुध, चन्द्र, शनि, गुरू, मंगल की होरायें होगी। पचीसवें घण्टे में अर्थात दूसरे दिन प्रातःकाल चन्द्र की होरा होगी। तदनुसार रविवार के दूसरे दिन चन्द्रमा की तीसरे दिन मंगल की, चैथे दिन बुध की, पाॅचवें दिन गुरू की, छठें दिन शुक्र की एवं सातवें दिन शनि की होरा और पुनः रवि की होरा होगी।

अहोरात्र का स्वामी

अहोरात्र का स्वामी

निष्कर्ष यह है कि प्रातःकाल जिस ग्रह की होरा होती है, वही ग्रह उस अहोरात्र का स्वामी माना जाता है। अतः वह अहोरात्र उसी ग्रह का ‘‘वार'' माना जाता है। यहाॅ पर शंका हो सकती है कि उपर्युक्त क्रम मानकर यदि ऊपर से चला जाए तो प्रथम दिन शनिवार होना चाहिए एवं नीचे से चला जाये तो प्रथम दिन सोमवार होना चाहिए। किन्तु व्यवहार में रविवार को ही प्रथम वार माना जाता है। इसका समाधान भास्कराचार्य जी ने सिद्धान्त शिरोमणि ग्रन्थ में निम्न प्रकार से उल्लेख किया है-

लंका नगर्यामुदयाच्च भानोस्तथैव वारो प्रथमो बभूव।
मधोः सितोदेर्दिनमास-वर्ष-युगादिकानां युगपत् प्रवृत्तिः।।

अर्थात लंका नगरी में सर्वप्रथम सूर्योदय रविवार को हुआ। अतः चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से दिन, मास, वर्ष एवं युगादि की एक साथ प्रवृत्ति हुई। निष्कर्ष यह निकलता है कि काल गणना का आरम्भ ही रविार से हुआ है। अतः रविवार को ही प्रथम वार मानना युक्तिसंगत हैं।

ऋग्वेद ज्योतिष

ऋग्वेद ज्योतिष

यद्यपि ऋग्वेद ज्योतिष में वारो का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है। किन्तु अथर्व ज्योतिष में स्पष्ट रूप से वाराधिपों का उल्लेख किया गया है।

आदित्य सोमो भौमश्च तथा बुधबृहस्पती।
शनैश्चरश्चैव एते सप्तदिनाधिपाः।।

अर्थात आदित्य, सोम, भौम, बुध, बृहस्पति, भार्गव अर्थात शुक्र एवं शनि ये क्रमशः वारों के स्वामी होते हैं।

यह भी पढ़ें: अशुभ अस्त ग्रहों को मजबूत करने के लिए भूलकर भी न पहनें रत्नयह भी पढ़ें: अशुभ अस्त ग्रहों को मजबूत करने के लिए भूलकर भी न पहनें रत्न

Comments
English summary
USA & Canada consider Sunday as the start of the week. Reason being the day is day of Rest and Worship in Christians and Western Countries.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X